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जिला शिक्षा विभाग: कार्यालय बना अवैध कमाई का अड्डा बीएड-डीएड की अनुमति देने के नाम पर वसूली

WPT न्यूज सीधी: सीधी जिले का शिक्षा विभाग अब अवैध वसूली के मामले में सुर्खियों में है। जब से जिला शिक्षा अधिकारी प्रेमलाल मिश्रा ने कार्यालय का प्रभार संभाला है, तब से विभाग की गतिविधियों में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है। बीएड और डीएड की अनुमति देने के नाम पर 10 हजार रुपये का सुविधा शुल्क लेकर यह विभाग खुलकर अवैध कमाई कर रहा है।

सूत्रों के अनुसार

बीएड-डीएड की अनुमति के नाम पर वसूली: जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बीएड और डीएड की अनुमति देने के नाम पर 10 हजार रुपये की वसूली की जा रही है। यह शुल्क शिक्षकों से खुलेआम लिया जा रहा है, और बिना इस राशि के अनुमति प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है।

शिक्षकों की मजबूरी का फायदा: पुराने शिक्षकों को अब बीएड और डीएड अनिवार्य कर दिया गया है। शासन स्तर से नया आदेश जारी होने के बाद, जिन शिक्षकों ने बुनियादी प्रशिक्षण शाला से बीटीसी किया था, उन्हें इस नए आदेश के अनुसार बीएड और डीएड की आवश्यकता है। उच्च पद की कमी के कारण, इन शिक्षकों को जिला शिक्षा अधिकारी से विभागीय अनुमति प्राप्त करने के लिए भुगतान करना पड़ रहा है

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी: जिले में शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार की कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। इसके चलते शिक्षा विभाग अपनी अवैध गतिविधियों में खुलेआम व्यस्त है।

आवेदन प्रक्रिया में रिश्वत का खेल: जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बिना रिश्वत के कोई भी कार्य नहीं किया जा रहा है। चाहे वह अटैचमेंट हो या अन्य विभागीय कार्य, सभी मामलों में दलाली का खेल चल रहा है। हाल ही में, प्रमुख कार्यालय से अटैचमेंट समाप्त कर मूल जगहों पर जाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने नियमों की अनदेखी करते हुए किसी भी शिक्षक को मूल स्थानों पर नहीं भेजा।

प्रतिक्रिया

शिक्षक और स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और उन्होंने शिक्षा विभाग के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वे चाहते हैं कि इस भ्रष्टाचार की गहराई से जांच हो और दोषियों को सजा मिले।

इस घोटाले के खुलासे से जिला शिक्षा विभाग की साख पर बड़ा सवाल उठ गया है और यह देखना होगा कि प्रशासन इस पर कब और कैसे कार्रवाई करता है।

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