नई दिल्ली, 2 सितंबर 2024: देशभर में ‘बुलडोजर जस्टिस’ के रूप में जाने जा रहे सरकारी अभियानों पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दाखिल की गई अर्जी पर आज यानि दो सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इस अर्जी में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हाल ही में बुलडोजर चलाने की घटनाओं का हवाला देते हुए इन अभियानों पर रोक लगाने की मांग की गई है।
जस्टिस भूषण आर गवई की अगुआई वाली दो सदस्यीय जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने इस अर्जी पर तुरंत सुनवाई की मांग की है। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ आज दोपहर 2 बजे इस मामले की सुनवाई करेगी।

नई दिल्ली:-बुलडोजर जस्टिस पर उठे सवाल
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया है कि विभिन्न राज्यों में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बुलडोजर का उपयोग करके उनके घरों और संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। अर्जी में कहा गया है कि इस प्रकार की कार्रवाई को न्यायिक प्रक्रियाओं को दरकिनार कर के किया जा रहा है, जो कि संविधान और कानून के खिलाफ है।
इस मामले में एक विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ‘बुलडोजर जस्टिस’ के कई मामले सामने आए हैं। इन घटनाओं में आरोपियों के घरों और संपत्तियों को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के निशाना बनाया गया है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है।
हाल की घटनाएं और एमेनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट
हाल ही में एमेनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि फरवरी 2024 से जून 2024 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 128 संपत्तियों को बुलडोजर से ढहा दिया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार, सरकार और प्रशासन पीड़ितों को अपने बचाव के लिए कानूनी उपाय करने का अवसर ही नहीं देते और आरोपियों के खिलाफ बिना कानूनी प्रक्रिया के त्वरित कार्रवाई करते हैं।
मध्य प्रदेश में भी इसी साल मई में एक आरोपी के पिता की संपत्ति पर बुलडोजर चला दिया गया, यह कार्रवाई घटना के कुछ घंटे के भीतर की गई, इससे पहले कि कोई कानूनी प्रक्रिया शुरू हो सके। इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद और बरेली में दो एफआईआर में नामजद आरोपियों की संपत्तियों पर भी बुलडोजर चलाए गए। जून 2024 में मध्य प्रदेश के मंडला जिले में पशु तस्करी के आरोपियों की 12 संपत्तियों को भी बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट की संभावित भूमिका
सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई इस मामले की गंभीरता को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अदालत को यह तय करना होगा कि क्या सरकार की इस प्रकार की कार्रवाइयों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाए और क्या संविधान और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कोई प्रभावी दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
इस सुनवाई का परिणाम न केवल संबंधित राज्यों के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण होगा बल्कि पूरे देश में न्याय और कानूनी प्रक्रियाओं के प्रति सरकार और प्रशासन के दृष्टिकोण को भी प्रभावित कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट की इस सुनवाई से यह स्पष्ट होगा कि क्या सरकार की ‘बुलडोजर जस्टिस’ प्रवृत्ति पर नियंत्रण पाया जा सकेगा और न्याय प्रणाली की पवित्रता को बनाए रखा जा सकेगा।