फरीदाबाद: 12वीं के छात्र आर्यन मिश्रा की गोतस्करी के नाम पर हत्या ने देश में एक बार फिर से गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा के मुद्दे को उजागर किया है। आर्यन, जो हरियाणा के फरीदाबाद का निवासी था, अपने दोस्तों के साथ नूडल्स खाने के लिए घर से निकला था। लेकिन कुछ लोगों ने, जो खुद को गोरक्षक बताते हैं, आर्यन की जान ले ली। इस दर्दनाक घटना के बाद, आर्यन के पिता सियानंद मिश्रा ने कुछ गंभीर सवाल उठाए हैं, जिनका जवाब आज पूरे देश को चाहिए।

आर्यन के पिता ने पूछा, “आखिर कौन इन कथित गोरक्षकों को यह अधिकार देता है कि वे किसी की जान ले सकें?” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनका बेटा 12वीं का छात्र था और उसे आरोपियों में से किसी को भी नहीं जानता था। उन्होंने आरोपियों द्वारा यह दावा किए जाने पर भी सवाल उठाया कि गोली गलती से लगी। उन्होंने कहा, “अगर गोली गलती से लगी थी, तो मेरे बेटे के सीने में दूसरी गोली कैसे लगी?”https://g.co/kgs/3hhsXmk
घटना का पूरा विवरण
यह घटना 23-24 अगस्त की रात की है, जब आर्यन मिश्रा अपने दोस्तों हर्षित और शैंकी के साथ डस्टर कार में नूडल्स खाने के लिए निकला था। उधर, आरोपियों ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ गोतस्कर डस्टर और फॉर्च्यूनर गाड़ियों के जरिए शहर की रेकी कर रहे हैं। उनका दावा है कि गोतस्करों ने अपने साथियों को गायों को एक ट्रक में भरकर ले जाने के लिए कहा था।


जब आरोपियों को डस्टर कार दिखी, तो उन्होंने इसे रोकने का इशारा किया। पुलिस के अनुसार, हाल ही में हर्षित और शैंकी का किसी व्यक्ति से झगड़ा हुआ था, जिसके चलते उन्हें लगा कि वही लोग कार रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इस गलतफहमी के कारण उन्होंने कार भगानी शुरू कर दी। आरोपियों ने भी उनका पीछा किया, और करीब 25 किलोमीटर तक गाड़ी दौड़ने के बाद पलवल टोल प्लाजा पर कार को गोलियों से भून दिया। एक गोली आर्यन मिश्रा को लगी, जिससे कार रुक गई। इसके बाद आरोपियों ने कार के पास आकर आर्यन के सीने में एक और गोली मार दी।
पुलिस की कार्यवाही और परिवार के सवाल
फरीदाबाद के एसीपी क्राइम अमन यादव ने बताया कि इस घटना के पांच दिन बाद संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस दौरान, घटना में इस्तेमाल किए गए वाहन और हथियार को जब्त कर लिया गया है। अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनकी पहचान अनिल कौशिक, वरुण, कृष्णा, आदेश और सौरव के रूप में हुई है।

इस घटना ने गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा के मुद्दे को एक बार फिर से सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। आर्यन मिश्रा की हत्या ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर यह कौन सा कानून है, जो इंसानों की जान लेने का अधिकार देता है। क्या गोरक्षा के नाम पर इंसानों की हत्या को सही ठहराया जा सकता है? आर्यन के पिता के सवाल हर उस भारतीय के लिए विचारणीय हैं, जो इंसाफ की उम्मीद करता है।
निष्कर्ष
आर्यन मिश्रा की हत्या एक ऐसी त्रासदी है, जो देश में बढ़ती असहिष्णुता और हिंसा की घटनाओं को उजागर करती है। आर्यन के पिता के उठाए सवाल न केवल न्यायिक प्रणाली के लिए एक चुनौती हैं, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी हैं कि अगर ऐसे घटनाओं पर रोक नहीं लगी, तो कानून के शासन का अर्थ ही क्या रह जाएगा?

