मुंबई 3 सितंबर 2024: भाजपा सांसद नारायण राणे के विवादास्पद बयान ने महाराष्ट्र में राजनीति का नया विवाद खड़ा कर दिया है। राणे ने दावा किया है कि मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने सूरत को लूटा था, जो कि हाल ही में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा किए गए बयान के प्रतिकूल है।

फडणवीस ने कहा था कि शिवाजी महाराज ने सूरत पर कभी भी हमला नहीं किया और इस संदर्भ में कांग्रेस पर ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया था। फडणवीस का आरोप था कि कांग्रेस ने जानबूझकर नेहरू जी की किताब ‘डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ में शिवाजी महाराज को गलत तरीके से प्रस्तुत किया और उन्हें सूरत को लूटने वाला दर्शाया। फडणवीस ने कहा कि यह पूरी तरह से असत्य है और शिवाजी महाराज ने स्वराज्य और राष्ट्र के व्यापक कल्याण के लिए अपनी सैन्य रणनीति अपनाई।

हाल ही में, नारायण राणे ने मुंबई में भाजपा मुख्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “मैं इतिहासकार नहीं हूं, लेकिन मैंने इतिहासकार बाबासाहेब पुरंदरे से जो कुछ पढ़ा और सुना है, उसके अनुसार, शिवाजी महाराज ने वास्तव में सूरत को लूटा था। यह जानकारी मुझे उनकी किताबों और शोध से मिली है।”https://g.co/kgs/7bRZiAK
राणे का यह बयान शिवाजी महाराज की विरासत को लेकर मौजूदा विवाद में एक नई आग का काम कर रहा है। पिछले कुछ समय से छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्तियों के गिराने और उनके प्रति आदर-सम्मान को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी राजनीति हो रही है।
सिंधुदुर्ग ज़िले के मालवण में छत्रपति शिवाजी की मूर्ति गिरने के बाद से यह मुद्दा और भी गरमाया है। इस घटना के बाद सत्तारूढ़ दल और विपक्ष एक-दूसरे पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगा रहे हैं। देवेंद्र फडणवीस ने इस घटनाक्रम को चुनावी राजनीति का हिस्सा बताते हुए कहा है कि विपक्ष इसे माहौल को बिगाड़ने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।


इतिहास के अनुसार, शिवाजी महाराज ने 1664 और 1670 में दो बार सूरत पर हमला किया था, जब सूरत एक प्रमुख आर्थिक और बंदरगाह केंद्र था। इस दौरान, सूरत से बहुत सारे धन और सामग्री लूटे जाने का विवरण मौजूद है।
इस बीच, नारायण राणे ने शिवसेना (UBT) के नेता उद्धव ठाकरे द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को देश से बाहर जाने की सलाह देने पर भी आपत्ति जताई है। राणे ने कहा कि यह बयान पूरी तरह से असंविधानिक और राजनीतिक आस्थाओं के खिलाफ है।
नरेंद्र राणे के बयान और शिवाजी महाराज की विरासत पर चल रही राजनीति ने राज्य की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया है, और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी विवाद उत्पन्न होने की संभावना है।