श्रीलंका ने एक बार फिर से इतिहास रचते हुए हरिनी अमरसूर्या को प्रधानमंत्री के रूप में चुना है। इस प्रकार, श्रीलंका ने अपने 76 साल के इतिहास में तीसरी महिला प्रधानमंत्री दी है। हरिनी पिछले दो दशकों में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं।
शिक्षा और करियर
हरिनी अमरसूर्या का जन्म फरवरी 1970 में हुआ। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा कोलंबो के बिशप कॉलेज से पूरी की। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। परास्नातक की पढ़ाई के लिए वे ऑस्ट्रेलिया गईं, जहां उन्होंने मैक्वेरी यूनिवर्सिटी से एप्लाइड एंथ्रोपोलॉजी और डेवलपमेंट स्टडीज में मास्टर डिग्री हासिल की। पीएचडी के लिए उन्होंने स्कॉटलैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी का चयन किया और 2011 में सामाजिक मानव विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य और विकास अध्ययन में पीएचडी पूरी की।
हरिनी ने पिछले 10 सालों से श्रीलंका ओपन यूनिवर्सिटी में सीनियर लेक्चरर के रूप में कार्य किया है और विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपनी आवाज उठाने में सक्रिय रहीं हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी का 6% आवंटित करने की मांग की और लैंगिक समानता, सामाजिक कल्याण, और एड्स जागरूकता के मुद्दों पर भी कार्य किया।

श्रीलंका:- राजनीतिक यात्रा
हरिनी अमरसूर्या ने नेशनल पीपुल्स पावर पार्टी (NPP) की गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह पार्टी 2019 में स्थापित की गई थी। उन्होंने 2020 के आम चुनावों में NPP के बैनर तले सांसद के रूप में पहली बार चुनी गईं। अमरसूर्या ने अनुरा कुमारा दिसानायके के राष्ट्रपति बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनके चुनाव अभियान के लिए उन्होंने 21,500 किलोमीटर से अधिक यात्रा की।

नई सरकार का गठन
श्रीलंका की राजनीति में हाल के दिनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। 21 सितंबर को अनुरा कुमारा दिसानायके को राष्ट्रपति चुना गया और 24 सितंबर को हरिनी अमरसूर्या को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। उन्होंने दिनेश गुणवर्धने की जगह ली, जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
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हरिनी अमरसूर्या की प्रधानमंत्री बनने की उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि श्रीलंका की महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणादायक कदम है, जो देश में लैंगिक समानता और प्रतिनिधित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।