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हिमाचल: मंत्री विक्रमादित्य सिंह के विवादित बयान पर कांग्रेस की नाराजगी, सफाई मांगी

हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह के हालिया बयान पर कांग्रेस पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा था कि राज्य में सभी भोजनालयों और ढाबों के मालिकों के लिए अपने नाम और पहचान पत्र को प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। इस बयान के बाद कांग्रेस ने मंत्री की कड़ी आलोचना की और उनसे लिखित जवाब मांगा है।

हिमाचल: मंत्री विक्रमादित्य सिंह के विवादित बयान पर कांग्रेस की नाराजगी

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने विक्रमादित्य सिंह से बातचीत की और उनके बयान को अनुचित और अस्वीकार्य करार दिया। उन्होंने कहा कि मंत्री को पार्टी की नीतियों और विचारधाराओं के खिलाफ जाने का अधिकार नहीं है। वेणुगोपाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस तरह के बयानों से पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचता है और इसलिए विक्रमादित्य को इस मामले में सफाई देनी होगी।

मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि मीडिया ने उनके शब्दों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा, “मैंने जो कुछ भी कहा, वह कानून के दायरे में और हिमाचल प्रदेश के लोगों के हित में था।” उन्होंने यह भी कहा कि वे हमेशा राज्य के हित के लिए बोलते रहेंगे और आगे भी ऐसा करते रहेंगे।

कांग्रेस नेतृत्व ने विक्रमादित्य सिंह के बयान से राज्य सरकार को दूरी बनाने की सलाह दी। इसके बाद, हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि विक्रेताओं के स्टॉल पर नाम प्रदर्शित करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता जयराम ठाकुर ने राज्य सरकार की इस प्रतिक्रिया की आलोचना की। उन्होंने इसे सिस्टम का मजाक बताते हुए कहा कि यदि सरकार एक कैबिनेट मंत्री के बयान से खुद को अलग कर रही है, तो यह प्रशासन के अंदर गंभीर मुद्दों की ओर इशारा करता है।

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उन्होंने हाल ही में एक बैठक की थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि स्ट्रीट वेंडर्स को अपने नाम और आईडी प्रदर्शित करनी होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में यह नियम लागू किया गया है, और हिमाचल में भी इसे मजबूती से लागू करने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने बताया कि ‘स्ट्रीट वेंडिंग कमिटी’ के माध्यम से सभी दुकानदारों के आईडी कार्ड बनाए जाएंगे, जिन पर उनकी फोटो, रजिस्ट्रेशन नंबर और अन्य आवश्यक जानकारी होगी।

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यह मामला न केवल राजनीतिक तकरार का विषय बना है, बल्कि यह लोगों के बीच इस निर्णय की स्वीकार्यता को लेकर भी सवाल उठाता है। कांग्रेस का मानना है कि इस तरह के कदम से छोटे व्यवसायियों और विक्रेताओं पर अनावश्यक दबाव पड़ेगा, जबकि विक्रमादित्य सिंह इसे जनता की सुरक्षा और भलाई के लिए जरूरी बता रहे हैं।

जैसे-जैसे इस मामले पर बहस बढ़ती जा रही है, यह स्पष्ट है कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति में इस मुद्दे का असर लंबे समय तक बना रह सकता है।

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