Homeराजनितिहरियाणा विधानसभा चुनाव: महाभारत के मैदान में सियासी ‘रण’

हरियाणा विधानसभा चुनाव: महाभारत के मैदान में सियासी ‘रण’

हरियाणा: महाभारत और पानीपत के ऐतिहासिक युद्धों की भूमि हरियाणा में विधानसभा चुनाव का भयंकर ‘रण’ छिड़ चुका है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जीत की हैट्रिक लगाने की जुगत में है, वहीं कांग्रेस सत्ता के एक दशक के सूखे को खत्म करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। इन चुनावों में जातिगत समर्थन का अहम स्थान है, जिससे दोनों दलों की रणनीतियां तय हो रही हैं।

भाजपा गैर-जाट मतों को साधने में लगी है, जबकि कांग्रेस को जाटों के एकमुश्त समर्थन की आस है। दलित मतदाता, जो करीब 21 प्रतिशत हैं, इन चुनावों में सत्ता की चाबी लिए खड़े हैं। दोनों प्रमुख दल अपने समर्थक मतों में बिखराव रोकने के साथ-साथ दलितों का समर्थन भी प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।

भाजपा की रणनीति: हरियाणा दलितों को साधने की कोशिश

भाजपा ने अपनी रणनीति में ओबीसी मतदाताओं को अपने साथ रखने का फैसला किया है। जाटों के टिकटों को 20 से घटाकर 16 कर दिया गया है। पार्टी अब कुमारी शैलजा के अपमान का मुद्दा उठाकर दलितों के बीच सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। रोहतक क्षेत्र के स्थानीय नेता अरुण अरोड़ा के अनुसार, “भले ही भाजपा के कामों की आलोचना हो, लेकिन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लोगों को उनके साथ जाना पड़ रहा है।”

कांग्रेस का टारगेट: जाट और दलित समर्थन

कांग्रेस ने 90 में से 28 सीटों पर जाट उम्मीदवार उतारे हैं और अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित 17 सीटों पर भी अपना जोर लगाने की योजना बनाई है। पार्टी का मुख्य फोकस बागियों के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करना है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच की खाई भी एक चिंता का विषय है।

चौटाला परिवार: अस्तित्व की लड़ाई

चौटाला परिवार, जो कभी हरियाणा की सियासत में प्रमुखता रखता था, इस बार अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए चुनावी मैदान में है। अभय चौटाला की अगुवाई में इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और उनके भतीजे दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। दोनों दलों का लक्ष्य भले ही कम सीटें जीतना हो, लेकिन वे भाजपा और कांग्रेस के समीकरणों को बिगाड़ सकते हैं।

आम आदमी पार्टी: नई उम्मीदें

दिल्ली और पंजाब में सफलता के बाद, आम आदमी पार्टी (आप) हरियाणा में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए मैदान में है। बिना किसी गठबंधन के, आप ने 88 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं और दिल्ली से सटी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही है।

प्रमुख जातियों का गणित

जातिमतदाता प्रतिशत
जाट25-30%
दलित21%
पंजाबी8%
ब्राह्मण8%
अहीर5.25%
वैश्य5%
राजपूत3.50%
सैनी3%
मुस्लिम4%

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हरियाणा के चुनावी दंगल में इन आंकड़ों के आधार पर मतदाता मनोविज्ञान का गहरा असर दिखाई दे सकता है। चुनाव 5 अक्टूबर को होंगे और परिणामों के साथ ही हरियाणा की राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट होगी।

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