नवरात्रि 2024 :- नवरात्रि के शुभ अवसर पर माता शक्ति का आगमन होने वाला है, और इस मौके पर देश भर में भव्य पंडाल सजाए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी अनेक ऐसे पंडालों और प्राचीन शक्तिपीठों का निर्माण हो रहा है, जहां भक्त दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। प्रदेश में देवी शक्ति को समर्पित चार प्रमुख शक्तिपीठ हैं, जहां मां सती के शरीर के अंग गिरे थे। चलिए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में और उनकी खासियतें।
1. हरसिद्धि शक्तिपीठ – उज्जैन
यह मंदिर लगभग 2000 साल पुराना है और उज्जैन में स्थित है। यहां माता शक्ति का दाहिना हाथ गिरा था। नवरात्रि के पहले दिन यहां घट स्थापना की जाती है और 9 दिन तक पूजन अर्चन होता है। 9वें दिन विशेष हवन किया जाता है। हरसिद्धि माता परमारवंश की कुल देवी हैं और यहां बलि प्रथा नहीं होती। उज्जैनवासियों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विष्णु ने कराया था।
2. मैहर शक्तिपीठ – मैहर
मैहर के त्रिकूट पर्वत पर स्थित यह शक्तिपीठ मां शारदा का मंदिर है। यहां माता सती का गले का हार गिरा था, जिससे इस क्षेत्र का नाम ‘मैहर’ पड़ा। भक्तों को मंदिर तक पहुंचने के लिए 1001 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। नवरात्रि के दौरान यहां मेले का आयोजन होता है, जहां लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
3. भैरव पर्वत शक्तिपीठ – उज्जैन
उज्जैन में स्थित भैरव पर्वत शक्तिपीठ, जिसे अवंती शक्तिपीठ भी कहा जाता है, यहां माता सती के ऊपरी होंठ गिरे थे। यह मंदिर सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों से जुड़े महाकवि कालिदास की आराध्य देवी मानी जाती है। यहां नवरात्रि के दौरान 9 दिवसीय आयोजन होता है।
4. शोंदेश शक्ति पीठ – अमरकंटक
अमरकंटक में स्थित शोंदेश या सोनाक्षी शक्ति पीठ, जहां माता सती का दाहिना नितंभ गिरा था। यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना है। श्रद्धालु यहां आने के बाद मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, और नवरात्रि में भव्य आयोजनों का आयोजन किया जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
निष्कर्ष
इन शक्तिपीठों की मान्यता और भक्ति का महत्व नवरात्रि के दौरान और भी बढ़ जाता है। यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और इनकी आस्था के चलते हर साल हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। इस नवरात्रि, माता शक्ति की कृपा से सभी भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण हों।
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