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कोर्ट ने दिया मृतक के माता-पिता को वीर्य का अधिकार: जानें मामला क्या है

दिल्ली हाई कोर्ट: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मृतक शख्स के माता-पिता को उनके बेटे का फ्रीज किया हुआ वीर्य (सीमन) इस्तेमाल करने की अनुमति दी है। यह मामला प्रीत इंदर सिंह नाम के 30 वर्षीय युवक से संबंधित है, जो कैंसर से पीड़ित थे और जिन्होंने अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने के लिए इलाज से पहले सीमन का सैंपल फ्रीज कराया था।

कैंसर का इलाज और वीर्य संग्रहण

जून 2020 में प्रीत सिंह को कैंसर का पता चला, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें कीमोथैरेपी कराने की सलाह दी। चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि इस उपचार से उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसी वजह से, प्रीत ने सर गंगा राम अस्पताल में अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने के लिए सीमन का सैंपल जमा कराया। हालांकि, सितंबर 2020 में प्रीत सिंह की मौत हो गई।

कोर्ट :- माता-पिता का संघर्ष

प्रीत के माता-पिता, गुरविंदर सिंह और हरबीर कौर, ने दिसंबर 2020 में अस्पताल से उनके बेटे का फ्रीज किया हुआ सीमन सैंपल मांगा। लेकिन अस्पताल ने उन्हें यह सैंपल देने से मना कर दिया। इसके बाद, 2021 में माता-पिता ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया।

कोर्ट का निर्णय

अस्पताल के वकील ने कोर्ट में कहा कि कानून में अविवाहित व्यक्तियों के सीमन के इस्तेमाल के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं। दूसरी ओर, प्रीत सिंह के माता-पिता ने कोर्ट में यह दलील दी कि वे सरोगेसी के माध्यम से अपने पोते या पोती के लिए पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं।

जस्टिस प्रतिभा सिंह ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि माता-पिता अपने बेटे के क्लास-1 कानूनी उत्तराधिकारी हैं और उन्हें वीर्य का अधिकार प्राप्त है। कोर्ट ने अस्पताल को निर्देश दिया कि वह जमे हुए सीमन का सैंपल प्रीत सिंह के माता-पिता को सौंपे।

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निष्कर्ष

यह मामला न केवल कानूनी बल्कि नैतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, जो चिकित्सा और प्रजनन अधिकारों के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करता है। यह निर्णय अन्य परिवारों के लिए एक मिसाल स्थापित कर सकता है, जो अपने प्रियजनों के जीवन के बाद भी उनके प्रजनन अधिकारों का संरक्षण करना चाहते हैं।

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