भारत में गोवर्धन पूजा का पर्व गहरी आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। इस दिन हिंदू समाज में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और गौ माता का विशेष सम्मान होता है। यह त्योहार हमें प्रकृति और मवेशियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी की याद दिलाता है, जो कृषि और ग्रामीण समाज का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अक्सर गोवर्धन पूजा के दौरान गौ संरक्षण और गौ माता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की बात करती है। लेकिन दूसरी तरफ, जमीनी हकीकत में स्थिति इससे बिलकुल अलग नज़र आती है।
गौ संरक्षण का संदेश और जमीनी हकीकत
भाजपा और अन्य राजनीतिक दल गोवर्धन पूजा के समय पर गौ माता की महत्ता पर बात करते हैं, लेकिन हमारे शहरों और कस्बों में मवेशियों की स्थिति चिंताजनक है। अक्सर हम देखते हैं कि ये मवेशी सड़कों और कचरे के ढेरों में भोजन की तलाश करते नजर आते हैं। जो मवेशी कभी हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक और कृषि व्यवस्था का एक अहम हिस्सा थे, वही आज कचरे के ढेरों में जी रहे हैं और अक्सर प्लास्टिक जैसे हानिकारक पदार्थों को भी निगल रहे हैं। सीधी जिले की सब्जी मंडी के पास एक उदाहरण देखने को मिलता है, जहां खुले में कचरा जलाया जा रहा है और मवेशी उस कचरे के आसपास ही घूमते रहते हैं। यह न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि उन मवेशियों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है, जिनका संरक्षण करने का दावा राजनीतिक पार्टियाँ करती हैं।
पर्यावरण संरक्षण का दावा और वायु प्रदूषण की अनदेखी
हर साल दीपावली के समय, विभिन्न राजनीतिक दल, खासकर भाजपा, पटाखों का इस्तेमाल न करने की सलाह देती है। इसका मकसद है कि त्योहार के दौरान वायु प्रदूषण को कम किया जा सके और पर्यावरण सुरक्षित रह सके। यह सलाह निश्चित रूप से एक सकारात्मक पहल है, लेकिन क्या यही पार्टियाँ पूरे साल पर्यावरण संरक्षण के प्रति सचेत हैं? सीधी जिले की सब्जी मंडी के पास देखा गया कि किस प्रकार खुले मैदान में कचरे को इकट्ठा करके जलाया जा रहा है, जिससे आसपास का वातावरण प्रदूषित हो रहा है। इससे न केवल प्रदूषण फैलता है, बल्कि आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
इको-फ्रेंडली सलाह और वास्तविकता में विरोधाभास
त्योहारों के समय इको-फ्रेंडली होने की सलाह देना, पटाखों से परहेज करने का संदेश देना एक सकारात्मक सोच का हिस्सा हो सकता है, लेकिन अगर इसी समय में शहरों और गांवों के कचरा प्रबंधन पर भी ध्यान दिया जाए, तो यह सलाह और भी प्रभावी हो सकती है। खुली जगहों पर कचरा जलाने से हवा में जहरीले तत्व घुल जाते हैं, जो न केवल वायुमंडल को बल्कि सांस लेने वाले सभी जीवों को नुकसान पहुंचाते हैं।


समाधान की दिशा में कदम
कचरा प्रबंधन और मवेशियों की सुरक्षा जैसे मुद्दों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- स्थानीय निकायों की जवाबदेही: सफाई व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय निकायों और नगरपालिकाओं को जवाबदेह बनाना चाहिए। खुले में कचरा जलाने पर सख्त रोक लगनी चाहिए और ऐसा करने वालों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
- शहरों में गौशालाओं का निर्माण: हर शहर में गौशालाओं का निर्माण होना चाहिए, ताकि सड़कों पर आवारा घूमने वाले मवेशियों को वहां उचित देखभाल और भोजन मिले।
- कचरा प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक: कचरे के उचित निपटान के लिए वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए। जैविक कचरे से खाद बनाना और प्लास्टिक जैसी चीजों का पुनर्चक्रण करना हमारे पर्यावरण के लिए लाभदायक हो सकता है।
- जागरूकता अभियान: समाज में कचरा न फैलाने, पर्यावरण संरक्षण और गौ संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए, ताकि लोग इन मुद्दों पर संवेदनशील हो सकें।

निष्कर्ष
भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के द्वारा गोवर्धन पूजा और दीपावली पर पर्यावरण और गौ माता के संरक्षण का संदेश देना एक अच्छी पहल है, लेकिन अगर इसे जमीनी स्तर पर उतारा जाए, तो इसके परिणाम और अधिक सार्थक हो सकते हैं। कचरा प्रबंधन और मवेशियों की स्थिति पर ध्यान देना समय की मांग है। एक जिम्मेदार समाज और सरकार के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न केवल त्योहारों के समय, बल्कि पूरे साल हम पर्यावरण और मवेशियों की सुरक्षा के प्रति समर्पित रहें।
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