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मझौली जनपद में नियमों की अनदेखी कर बनाए गए विषय विशेषज्ञ समिति के सदस्य, SDM ने गठित की तीन सदस्यीय टीम

मझौली: मझौली जनपद में नियमों की अनदेखी कर विषय विशेषज्ञ समिति के सदस्य बनाए जाने को लेकर शिकायतें उठाई गई हैं। इस मामले में खबर का प्रकाशन होते ही एसडीएम मझौली ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है और तीन दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, मझौली जनपद के जनपद अध्यक्ष सुनैना सिंह द्वारा तत्कालीन एसडीएम और सहायक लेखाधिकारी से मिलकर कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों को विषय विशेषज्ञ समिति का सदस्य बना दिया गया है, जबकि यह प्रक्रिया पंचायत राज्य अधिनियम के खिलाफ है। इस अधिनियम के अनुसार, किसी भी निर्वाचित पदाधिकारी के रिश्तेदार को उस समिति का सदस्य नहीं बनाया जा सकता, जहां वह खुद या उसका परिवार सदस्य किसी पद पर है। मझौली में इस नियम का उल्लंघन किया गया है और इसी कारण मामला अब तूल पकड़ रहा है।

रिश्तेदारों की नियुक्ति और नियमों की अनदेखी

2022 में मझौली जनपद की अध्यक्ष सुनैना सिंह बनीं, और उनके कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा तत्कालीन एसडीएम और सहायक लेखाधिकारी के साथ मिलकर कांग्रेस के पदाधिकारियों को विषय विशेषज्ञ समिति का सदस्य बना दिया गया। सबसे विवादास्पद नियुक्ति उनके पिता आनंद सिंह की थी, जो कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष हैं और उन्हें सामान्य प्रशासन समिति का मनोनीत सदस्य बना दिया गया।

पंचायत राज्य अधिनियम के अनुसार, कोई भी निर्वाचित पदाधिकारी अपने परिवार के किसी सदस्य को संबंधित समिति में नियुक्त नहीं कर सकता, लेकिन मझौली में यह नियम तोड़ा गया। इसके अलावा, इस प्रक्रिया को लेकर कोई आधिकारिक आदेश भी जारी नहीं किया गया, जो पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है।

कांग्रेस के पदाधिकारियों की नियुक्ति पर सवाल

मझौली जनपद में विषय विशेषज्ञ समिति में कांग्रेस पार्टी से जुड़े कई पदाधिकारियों को सदस्य बनाया गया है, जिनमें कृषि समिति में वीरन वैगा, शिक्षा समिति में शंभू सिंह चौहान, स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास समिति में प्रदीप दीक्षित, और अन्य समितियों में कांग्रेस पदाधिकारी शामिल हैं। इस प्रकार की नियुक्तियों को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या ये लोग वाकई में उन क्षेत्रों में विशेषज्ञ हैं, जिनके लिए उन्हें सदस्य बनाया गया है?

पंचायत राज अधिनियम के तहत, ऐसी समितियों में केवल वही लोग शामिल किए जा सकते हैं जो अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हों, जैसे कि पर्यावरण के जानकार, शिक्षा के विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता आदि। लेकिन मझौली में अधिकतर सदस्य कांग्रेस के पदाधिकारी हैं, जिनका समिति के उद्देश्यों से कोई वास्ता नहीं लगता है।

एसडीएम ने गठित की तीन सदस्यीय जांच टीम

इस पूरे मामले को लेकर मझौली जनपद में विरोध के स्वर तेज हो गए थे। जनपद सदस्यों ने जिला पंचायत सहित अन्य जगहों पर लिखित शिकायतें भी की थीं। इस पर संज्ञान लेते हुए एसडीएम मझौली ने तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। इस टीम में दशरथ सिंह (तहसीलदार मझौली), रोशनलाल गुप्ता (खंड पंचायत अधिकारी), और संतोष कुमार निगम (सहायक लेखाधिकारी, जनपद पंचायत मझौली) को शामिल किया गया है। टीम को तीन दिन के भीतर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

निष्कर्ष

मझौली जनपद में नियमों को ताक पर रखकर की गई नियुक्तियों पर सवाल उठने लगे हैं, और एसडीएम मझौली की जांच टीम अब इस मामले की पड़ताल करेगी। यदि जांच में यह पाया जाता है कि नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। जनपद में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और पंचायत राज्य अधिनियम का पालन सुनिश्चित करने के लिए यह जांच जरूरी हो गई है।

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