झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर 2024 को होगा, जिसमें 38 सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होगा। इस चरण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी समेत कई बड़े नामों की साख दांव पर है।
दूसरे चरण का समीकरण
- कुल 38 सीटों पर चुनाव।
- बीजेपी ने 33 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं और 5 सीटों पर उसकी सहयोगी आजसू मैदान में है।
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के 20, कांग्रेस के 13, राजद के 2, और सीपीआई (माले) के 3 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
हाई-प्रोफाइल सीटें और दिग्गजों की चुनौती
1. बरहेट (हेमंत सोरेन)
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट से चुनावी मैदान में हैं।
- बीजेपी ने गमालियल हेम्ब्रम को मैदान में उतारा है।
- हेमंत सोरेन 2014 और 2019 में इस सीट से विजयी रहे हैं और अबकी बार हैट्रिक की तलाश में हैं।
- इस सीट को JMM का गढ़ माना जाता है।
2. गांडेय (कल्पना सोरेन)
सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं।
- बीजेपी ने मुनिया देवी को प्रत्याशी बनाया है।
- गांडेय सीट पर झामुमो की पकड़ मजबूत है, लेकिन कल्पना के लिए यह सीट बचाना चुनौतीपूर्ण होगा।
3. धनावर (बाबूलाल मरांडी)
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी धनावर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं।
- उनके खिलाफ JMM के निजामुद्दीन अंसारी और माले के राजकुमार यादव हैं।
- मुकाबला त्रिकोणीय होने के कारण मरांडी के लिए राह आसान नहीं होगी।
4. डुमरी (बेबी देवी)
दिवंगत नेता जगन्नाथ महतो की पत्नी और मौजूदा मंत्री बेबी देवी डुमरी से झामुमो की उम्मीदवार हैं।
- उनके सामने आजसू की यशोदा देवी और जयराम महतो कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।
- यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले का केंद्र बनी हुई है।
5. जामा (लुईस मरांडी)
जामा सीट पर झामुमो का दबदबा रहा है।
- इस बार लुईस मरांडी, जिन्होंने हाल ही में बीजेपी छोड़ झामुमो का दामन थामा, चुनाव लड़ रही हैं।
- यह सीट सोरेन परिवार की परंपरागत सीटों में गिनी जाती है।
राजनीतिक महत्व और परिणाम की तारीख
दूसरे चरण में जिन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, वे राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। झारखंड के अगले मुख्यमंत्री के लिए इन सीटों पर जीतना अहम है।
- चुनाव परिणाम: 23 नवंबर 2024।
- इस चरण के नतीजे राज्य की सत्ता पर गहरा प्रभाव डालेंगे।
दांव पर हैं ये मुद्दे
- आदिवासी हितों का संरक्षण।
- विकास कार्य और बेरोजगारी।
- स्थानीय बनाम बाहरी राजनीति।
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झारखंड के इस दूसरे चरण में सत्ता और विपक्ष के दिग्गज नेताओं के बीच मुकाबला दिलचस्प रहेगा। अब देखना होगा कि जनता किसे चुनती है और किसकी साख बच पाती है।