महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में कोपरी पाचपाखाड़ी सीट एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के प्रभाव के चलते यह सीट भारतीय राजनीति का हॉटस्पॉट बन चुकी है। शिवसेना उद्धव गुट (Shiv Sena Uddhav) ने आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे (Kedar Dighe) को मैदान में उतारकर इस गढ़ को चुनौती देने की कोशिश की है, लेकिन शिंदे की लोकप्रियता के आगे यह चुनौती कमजोर दिखाई दे रही है।
ठाणे: शिंदे का गढ़ और दबदबा
कोपरी पाचपाखाड़ी, ठाणे लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सीट है। ठाणे क्षेत्र में शिंदे का दबदबा दशकों से कायम है। शिंदे दिवंगत शिवसेना नेता आनंद दिघे के सबसे करीबी और भरोसेमंद नेता माने जाते हैं। आनंद दिघे, जिन्हें “ठाणे के बाला साहेब” कहा जाता था, उनके शिवसैनिक आज भी शिंदे के समर्थन में मजबूती से खड़े हैं।

उद्धव ठाकरे गुट ने आनंद दिघे की पारिवारिक विरासत का सहारा लेते हुए केदार दिघे को मैदान में उतारा, लेकिन प्रचार और जनसमर्थन के मामले में वे कहीं न कहीं कमजोर नजर आ रहे हैं।
शिंदे के पक्ष में शिवसैनिक लामबंद
- शिंदे की सेना ने लोकसभा चुनाव में ठाणे में बड़ी जीत दर्ज की थी, जिससे शिवसैनिकों का भरोसा और मजबूत हुआ है।
- कोपरी पाचपाखाड़ी के आनंद दिघे आश्रम को अब शिवसैनिक ‘मंदिर’ का रूप दे चुके हैं, जहां रणनीतिक बैठकों का दौर जारी है।
- स्थानीय शिवसैनिकों का कहना है कि वे “गद्दारी” के आरोपों पर ध्यान नहीं देते। उनके अनुसार, शिंदे ने बाला साहेब और आनंद दिघे के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का काम किया है।
केदार दिघे की प्रचार रणनीति कमजोर

केदार दिघे ने अपने प्रचार अभियान में आक्रामकता नहीं दिखाई।
- उनकी प्रचार सामग्री केवल उनके कार्यालयों तक सीमित रही।
- महा अघाड़ी (Maha Aghadi) का समर्थन भी यहां प्रभावी रूप से नजर नहीं आ रहा।
- शिंदे और भाजपा के कार्यालयों पर जहां रौनक और गतिविधियां स्पष्ट हैं, वहीं केदार दिघे का कार्यालय खाली नजर आया।
जनता की राय: शिंदे को लेकर विश्वास

आश्रम और आसपास के क्षेत्र में बातचीत के दौरान अधिकांश लोगों ने शिंदे के प्रति अपने समर्थन को दोहराया।
- स्थानीय निवासी महेश जाधव का कहना है कि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर अपने पिता बाला साहेब के आदर्शों के साथ धोखा किया है।
- एक वकील ने कहा, “शिंदे साहब जीतेंगे, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस बार उनकी जीत उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बनाए रखेगी?”
शिंदे की जीत: सवाल जीत के अंतर का
इस चुनाव में कोपरी पाचपाखाड़ी सीट पर सवाल शिंदे की जीत का नहीं, बल्कि जीत के अंतर का है।
- शिंदे की रणनीति:
- बाला साहेब और आनंद दिघे की विरासत को आगे बढ़ाने पर जोर।
- ठाणे क्षेत्र में जनता के भरोसे को बरकरार रखना।
- उद्धव गुट की चुनौती:
- कमजोर प्रचार अभियान।
- महा अघाड़ी का ठाणे में अपेक्षित प्रभाव न होना।
निष्कर्ष
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कोपरी पाचपाखाड़ी सीट पर एकनाथ शिंदे की स्थिति मजबूत बनी हुई है। शिवसेना उद्धव गुट के लिए यह चुनाव केवल एक लड़ाई नहीं, बल्कि ठाणे में अपनी जमीन वापस पाने की कवायद है। हालांकि, मौजूदा हालात में शिंदे की जीत लगभग तय मानी जा रही है। सवाल यह है कि क्या इस बार की जीत उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में और बड़ा कद दिलाएगी और क्या वे फिर से मुख्यमंत्री बन पाएंगे।