टीकमगढ़ जिले के जतारा विकासखंड के मरगुवा गांव स्थित शासकीय शिक्षा गारंटी शाला कछियाना खिरक में पदस्थ शिक्षक एवं प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविंद्र सिंह दांगी को लंबे समय तक अनुपस्थित रहने और स्कूल को ठेके पर चलाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।
मामले का खुलासा
यह मामला तब उजागर हुआ जब लिधौरा के बजरंग दल प्रखंड संयोजक हिमांशु गमेले ने इस संबंध में कलेक्टर को शिकायत की। आरोप था कि शिक्षक अरविंद्र सिंह दांगी पिछले तीन वर्षों से अनुपस्थित थे और स्कूल संचालन के लिए निजी व्यक्ति को ठेके पर लगा रखा था। वे स्वयं टीकमगढ़ जिले में न रहकर सागर में निजी कार्य कर रहे थे।

जांच प्रक्रिया
- कलेक्टर के निर्देश पर 6 नवंबर को एक जांच दल गठित किया गया, जिसमें विकासखंड शिक्षा अधिकारी और विकासखंड स्रोत केंद्र समन्वयक शामिल थे।
- जांच दल ने 13 नवंबर को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें यह पाया गया कि शिक्षक अरविंद्र सिंह दांगी न केवल अनुपस्थित थे, बल्कि छात्रों और ग्रामीणों ने भी उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया।
- छात्रों के बयान और ग्रामीणों की मौजूदगी में पंचनामा तैयार किया गया।
जांच के नतीजे
- अरविंद्र सिंह दांगी ने स्कूल का संचालन एक निजी लड़के के जरिए करवाया।
- उनकी अनुपस्थिति के बावजूद, विकासखंड शिक्षा अधिकारी और संकुल प्राचार्य द्वारा वेतन आहरण किया जाता रहा।
- सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि वे स्कूल से दूर निजी कार्यों में लिप्त थे।
कार्रवाई और निलंबन आदेश

- जिला शिक्षा अधिकारी ने 16 नवंबर को मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत शिक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश दिया।
- निलंबनकाल के दौरान अरविंद्र सिंह दांगी का मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, टीकमगढ़ नियत किया गया।
- इस मामले में विकासखंड शिक्षा अधिकारी और संकुल प्राचार्य की भूमिका की भी जांच की जा रही है, क्योंकि उनकी जानकारी में वेतन आहरण हो रहा था।
ग्रामीणों और छात्रों का बयान
- छात्रों ने जांच के दौरान साफ कहा कि उन्होंने कभी भी अरविंद्र दांगी को स्कूल में पढ़ाते हुए नहीं देखा।
- ग्रामीणों ने इस मामले पर नाराजगी जताई और इसे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया।
सख्त कदम और शिक्षा विभाग की कार्यवाही
शिक्षा विभाग ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए न केवल आरोपी शिक्षक को निलंबित किया, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए संबंधित अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
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निष्कर्ष
इस घटना ने ग्रामीण शिक्षा प्रणाली में निगरानी की कमी और अधिकारियों की लापरवाही को उजागर किया है। यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे और शिक्षा का स्तर ऊंचा बना रहे।