Homeप्रदेशदमोह में स्वदेशी मेले से मुस्लिम दुकानदारों को निकाले जाने पर विवाद

दमोह में स्वदेशी मेले से मुस्लिम दुकानदारों को निकाले जाने पर विवाद

मध्य प्रदेश के दमोह ज़िले में आयोजित स्वदेशी मेले में मुस्लिम दुकानदारों को मेले से बाहर करने का मामला तूल पकड़ रहा है। इस मेले में देशभर से आए कई व्यापारियों ने स्टॉल लगाए थे, जिनमें कश्मीर सहित विभिन्न राज्यों से आए करीब 20-25 मुस्लिम दुकानदार भी शामिल थे।

जानकारी के अनुसार, इन दुकानदारों ने नियमानुसार स्टॉल बुक कर, शुल्क अदा किया था। लेकिन अब आयोजकों ने इन्हें मेले से अपनी दुकानें खाली करने का आदेश दे दिया है।

मेला और विवाद का कारण

आयोजकों का तर्क है कि मेले का उद्देश्य स्वदेशी वस्त्रों, उत्पादों और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है। हालांकि, मुस्लिम दुकानदारों को बाहर करने के पीछे किसी स्पष्ट कारण का उल्लेख नहीं किया गया है।

यह मामला तब और विवादास्पद हो गया, जब मेले के पोस्टर पर छपे संदेश ने इस भेदभाव को चुनौती दी। पोस्टर पर लिखा गया है:
“समाज के सभी वर्गों में बराबरी का भाव, बिना भेदभाव के आपस में मिलजुलकर रहना।”

प्रतिक्रियाएं और विरोध

इस घटना पर स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। प्रभावित दुकानदारों का कहना है कि यह निर्णय न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि उनके खिलाफ भेदभाव को भी उजागर करता है।

एक स्थानीय दुकानदार ने कहा,
“हमने नियमानुसार पैसे देकर स्टॉल बुक किए थे। अब हमें अचानक से बाहर करने का आदेश मिला है, जो हमारी रोज़ी-रोटी पर सीधा हमला है।”

वहीं, विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे सांप्रदायिक भेदभाव का उदाहरण बताया है।

सरकार की प्रतिक्रिया

प्रदेश सरकार और मेला आयोजकों की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इस घटना के बाद प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं कि ऐसी परिस्थितियों को रोकने के लिए पहले से कदम क्यों नहीं उठाए गए।

घटना के बाद यह मामला सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है, जहां लोग मेले के संदेश और वास्तविकता के बीच अंतर पर सवाल उठा रहे हैं।

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क्या होगा अगला कदम?

इस घटना ने धार्मिक सहिष्णुता और समानता के मुद्दे को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। सभी की निगाहें अब सरकार और आयोजकों पर हैं कि वे इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं।

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