उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के दौरान मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में एक विवादास्पद घटना ने राजनीति को गरमा दिया है। आरोप है कि ककरौली थाना क्षेत्र के SHO ने वोटर्स को रिवॉल्वर दिखाकर धमकाने की कोशिश की। इस घटना को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने चुनाव आयोग से तुरंत SHO को निलंबित करने की मांग की है।
क्या है मामला?
मीरापुर विधानसभा सीट पर वोटिंग के दौरान एक तस्वीर सामने आई, जिसमें SHO कथित तौर पर रिवॉल्वर लेकर मतदाताओं को डराते हुए नजर आ रहे हैं। अखिलेश यादव ने इस घटना पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा, “यह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है। चुनाव आयोग को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। SHO का यह कृत्य निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है।”

इब्राहिमपुर में भी विवाद
मीरापुर की घटना के साथ ही इब्राहिमपुर में मुस्लिम महिलाओं को मतदान करने से रोकने की खबरें भी सामने आई हैं। इस मामले में स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों पर सवाल उठ रहे हैं।
चुनाव आयोग की कार्रवाई
चुनाव आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच शुरू कर दी है। शुरुआती रिपोर्ट में SHO को प्रथम दृष्टया दोषी माना गया है। आयोग ने निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए घटनास्थल पर अतिरिक्त पर्यवेक्षकों की तैनाती की है।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
अखिलेश यादव ने कहा, “उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस तरह की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन जब तक दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक मतदाताओं का विश्वास बहाल नहीं हो सकता।” वहीं, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे समाजवादी पार्टी की साजिश करार दिया।
लोकतंत्र पर खतरा?

मीरापुर और इब्राहिमपुर की घटनाओं ने एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र में चुनावों के दौरान प्रशासनिक हस्तक्षेप और पक्षपात के आरोपों को उजागर किया है। चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग पर अतिरिक्त दबाव है।
चुनाव आयोग की सख्ती जरूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव आयोग को इस तरह की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इससे न केवल जनता का लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बढ़ेगा, बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों को भी यह संदेश जाएगा कि उनके कर्तव्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आगे की कार्रवाई
SHO पर लगे आरोपों की जांच जारी है। यदि दोष सिद्ध होता है, तो यह मामला केवल व्यक्तिगत दंड तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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इन विवादों के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि मीरापुर और अन्य सीटों के परिणाम पर यह घटनाएं क्या असर डालती हैं।