भोपाल: संविधान दिवस से ठीक एक दिन पहले, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने संविधान और उसके महत्व को लेकर एक बार फिर चर्चा छेड़ी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए संविधान को अमल में लाने वालों की भूमिका पर जोर दिया।
दिग्विजय सिंह का सोशल मीडिया पोस्ट
दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था। इससे एक दिन पहले बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा में ऐतिहासिक भाषण दिया था। इस भाषण में उन्होंने कहा था कि संविधान चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, यदि इसे लागू करने वाले लोग खराब होंगे तो इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। यदि इसे लागू करने वाले अच्छे होंगे, तो संविधान सफल होगा।”

भोपाल में आयोजित हुआ सेमिनार
दिग्विजय सिंह ने यह भी बताया कि उन्होंने भोपाल में Dalit Intellectuals द्वारा आयोजित एक सेमिनार में हिस्सा लिया। इस सेमिनार का विषय था, “संविधान विहीन भारत में काल्पनिक दृष्टिकोण।” इस चर्चा में संविधान के महत्व, उसकी व्याख्या, और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर विस्तार से बात की गई।
संविधान की प्रासंगिकता पर जोर
दिग्विजय सिंह ने अपने पोस्ट के जरिए डॉ. अंबेडकर के उस कथन को दोहराया, जो संविधान को लागू करने वाले व्यक्तियों की नैतिकता और क्षमता पर आधारित था। यह संदेश मौजूदा समय में संविधान की प्रासंगिकता और उसके क्रियान्वयन पर सवाल उठाने जैसा है।

संविधान दिवस: एक विशेष अवसर
हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय संविधान के निर्माण और उसके लागू होने की प्रक्रिया को याद करने का अवसर है। दिग्विजय सिंह ने इस मौके पर डॉ. अंबेडकर के विचारों को साझा करके संविधान और इसकी मूल आत्मा को समझने की आवश्यकता पर बल दिया।

निष्कर्ष
दिग्विजय सिंह के इस संदेश ने एक बार फिर संविधान की भूमिका और उसके क्रियान्वयन पर बहस को जीवंत कर दिया है। यह संदेश इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि इसे लागू करने वाले लोगों की सोच और नीयत पर इसका भविष्य निर्भर करता है।
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