उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर विवाद और हिंसा के बीच, एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम ने सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के लिए अतिरिक्त 10 दिन मांगे, जिसे सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह ने मंजूरी दे दी। एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव ने कोर्ट को बताया कि हिंसा और विरोध के कारण सर्वेक्षण कार्य में देरी हुई है।
सर्वेक्षण के दौरान हिंसा और विरोध
19 नवंबर को शुरू हुए पहले सर्वेक्षण के दौरान नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन हुए। 24 नवंबर को दूसरे सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। इस दिन पथराव की घटनाओं के बाद, मस्जिद के पास गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई। हालांकि, पुलिस ने गोली चलाने की जिम्मेदारी से इनकार किया है। अब तक 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, और 300 अन्य की पहचान की जा चुकी है।
एडवोकेट कमिश्नर ने बताया कि मस्जिद के वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी का काम पूरा कर लिया गया है। हालांकि, वीडियो फुटेज और तस्वीरों का विश्लेषण अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट पूरी होते ही इसे कोर्ट में पेश किया जाएगा।
मस्जिद प्रबंधन और याचिकाकर्ताओं के पक्ष
मस्जिद के प्रबंधन की ओर से वकील शकील वारसी ने कोर्ट में कहा कि उनका लिखित बयान 8 जनवरी को पेश किया जाएगा। वहीं, मंदिर होने का दावा करने वाले पक्ष के वकील गोपाल शर्मा ने कहा कि सर्वे में केवल वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को मस्जिद मामले में आगे कार्रवाई करने से रोक दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट तब तक कोई निर्णय न ले, जब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट में सर्वेक्षण आदेश को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा नहीं हो जाता। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने का आदेश दिया है।
जुमे की नमाज पर प्रशासन सतर्क
29 नवंबर को जुमे की नमाज के मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। मस्जिद के प्रवेश द्वार पर मेटल डिटेक्टर लगाए गए, और पुलिस बल को अलर्ट पर रखा गया।
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यह मामला धार्मिक विवाद और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को दर्शाता है। कोर्ट के फैसलों और प्रशासनिक कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।