दिल्ली के नए आबकारी नीति मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत मामला दर्ज करने की मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को दोनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी है। यह मंजूरी दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की सिफारिश पर एक महीने बाद मिली है।
पिछले नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि किसी भी लोकसेवक पर मुकदमा चलाने से पहले प्रवर्तन निदेशालय को पूर्व अनुमति लेनी होगी। इसके बाद जांच एजेंसी ने उपराज्यपाल को लिखा कि केजरीवाल इस घोटाले के “मुख्य साजिशकर्ता” हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी जानी चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि जांच एजेंसी द्वारा उनके खिलाफ और अन्य लोगों के खिलाफ दायर चार्जशीट अवैध है, क्योंकि मुकदमा चलाने की पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी।

नए आबकारी नीति घोटाले के आरोप
इस मामले में आरोप है कि 2021-22 में दिल्ली में लागू की गई नई आबकारी नीति में अनियमितताएं हुईं। आरोपों के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जानबूझकर नीति में खामियां बनाई थीं, ताकि शराब लॉबी से रिश्वत ली जा सके।

अरविंद केजरीवाल को पहली बार 21 मार्च 2024 को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद 26 जून 2024 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया।
केजरीवाल को खालिस्तानी संगठन से खतरा
इस बीच, यह भी खबर आई है कि अरविंद केजरीवाल को खालिस्तानी संगठन से खतरा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, खुफिया एजेंसियों से ऐसी जानकारी मिली है कि केजरीवाल पर हमला हो सकता है। इस खुफिया जानकारी के बाद उनकी सुरक्षा की समीक्षा की गई है। वर्तमान में अरविंद केजरीवाल को Z+ सुरक्षा प्रदान की गई है।
क्या है मामला?
- मुख्य आरोप: नई आबकारी नीति में घोटाला कर शराब लॉबी से रिश्वत लेना।
- गिरफ्तारी की तारीख:
- ED द्वारा: 21 मार्च 2024
- CBI द्वारा: 26 जून 2024
- सुरक्षा: Z+ सुरक्षा के बावजूद खतरे की खबर।
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अरविंद केजरीवाल के खिलाफ यह मामला न केवल उनकी राजनीतिक छवि को प्रभावित कर सकता है, बल्कि आम आदमी पार्टी के भविष्य पर भी गहरा असर डाल सकता है। अब देखना यह होगा कि अदालत में इस मामले में क्या दिशा तय होती है।