Homeराजनितिकांग्रेस पार्टी का इतिहास और वर्तमान: उत्थान से पतन तक की कहानी

कांग्रेस पार्टी का इतिहास और वर्तमान: उत्थान से पतन तक की कहानी

कांग्रेस पार्टी, भारतीय राजनीति का एक ऐतिहासिक स्तंभ, जिसने न केवल देश के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया, बल्कि आज़ादी के बाद दशकों तक भारत पर शासन भी किया। लेकिन समय के साथ, इस पार्टी के भीतर की दरारें, संघर्ष और विभाजन ने इसे गहरी चोट पहुंचाई।

कांग्रेस मुख्यालय: 24 अकबर रोड की कहानी

दिल्ली के 24 अकबर रोड का कांग्रेस मुख्यालय कभी भारतीय राजनीति का केंद्र हुआ करता था। यह वही स्थान था, जहां इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, और अन्य दिग्गज नेताओं ने महत्वपूर्ण फैसले लिए।

1978 में जब कांग्रेस ने इसे मुख्यालय बनाया, तो यह पार्टी के ताकत और रणनीतियों का प्रतीक बन गया। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में 1980 के दशक में कांग्रेस ने अपनी शक्ति के चरम को छुआ। 1984 में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत ने इसे पूरे देश में सर्वोच्च राजनीतिक ताकत बना दिया।

लेकिन 1991 में राजीव गांधी की मृत्यु के बाद, कांग्रेस को गहरा झटका लगा। पार्टी के भीतर गुटबाजी बढ़ी और 24 अकबर रोड विभाजन और संघर्ष का गवाह बन गया।

पार्टी में विभाजन और नई पार्टियों का गठन

कांग्रेस में विभाजन का सिलसिला 1978 से शुरू हुआ।

  • 1980: एके एंटोनी ने कांग्रेस (ए) बनाई, लेकिन बाद में पार्टी में लौट आए।
  • 1994: अर्जुन सिंह और एनडी तिवारी ने तिवारी कांग्रेस बनाई।
  • 1998: ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस बनाई।
  • 1999: शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने एनसीपी का गठन किया।
  • 2011: जगनमोहन रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस बनाई।

आज, कांग्रेस से निकली 9 सक्रिय पार्टियां भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

90 के दशक में जासूसी कांड और आंतरिक संघर्ष

पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में पार्टी ने आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, लेकिन पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष गहराता गया। कहा जाता है कि राव ने पार्टी के नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए खुफिया एजेंसियों का इस्तेमाल किया। यह जासूसी कांड पार्टी के भीतर अविश्वास का माहौल पैदा कर गया।

राजीव गांधी के दौर में थप्पड़ कांड

1985 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, पार्टी के भीतर युवा नेताओं और पुराने नेताओं के बीच तनाव बढ़ा। एक सार्वजनिक घटना में, एक वरिष्ठ नेता ने युवा कार्यकर्ता को थप्पड़ मारा, जिसने पार्टी के भीतर तनाव और असंतोष को उजागर किया।

कांग्रेस का वर्तमान: नई पहचान की तलाश

2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की जीत ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया। 44 सीटों पर सिमटने के बाद, पार्टी लगातार संघर्ष कर रही है। 2019 और 2024 के चुनावों में भी कांग्रेस अपनी स्थिति सुधारने में विफल रही।

कांग्रेस अब 24 अकबर रोड के बजाय कोटला रोड स्थित इंदिरा भवन से काम कर रही है। यह बदलाव पार्टी के नए अध्याय की ओर संकेत करता है।

क्या कांग्रेस फिर उठेगी?

कांग्रेस के पास इतिहास की धरोहर है, लेकिन उसे आज की राजनीति के लिए खुद को फिर से परिभाषित करना होगा। पार्टी को आंतरिक संघर्षों को खत्म कर, जनता के बीच अपनी साख को दोबारा बनाना होगा।

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क्या कांग्रेस अपनी पुरानी ताकत और पहचान को फिर से हासिल कर पाएगी, यह समय ही बताएगा। लेकिन यह निश्चित है कि पार्टी के भीतर के संघर्ष और विभाजन ने भारतीय राजनीति का इतिहास रच दिया है।

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