केरल की एक अदालत ने योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह कार्यवाही पतंजलि आयुर्वेद द्वारा किए गए भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों के आधार पर की गई है।
मामला: भ्रामक विज्ञापन और कानून का उल्लंघन
पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों को लेकर विज्ञापनों में दावा किया गया था कि वे उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। यह दावा औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 (DMR अधिनियम) का उल्लंघन है, जो ऐसी भ्रामक जानकारियों वाले विज्ञापनों पर रोक लगाता है।
शिकायत और जांच
केरल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. के.वी. बाबू ने नवंबर 2023 में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद, केरल औषधि नियंत्रण विभाग ने पतंजलि के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की।

2022 में डॉ. बाबू ने केंद्र और राज्य सरकारों को भी शिकायतें भेजीं, और जनवरी 2024 में उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय तक अपनी शिकायतें पहुंचाईं।
अदालती कार्यवाही और गिरफ्तारी वारंट
16 जनवरी, 2025 को पलक्कड़ की अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों को नोटिस भेजा। अदालत ने उनकी अनुपस्थिति पर संज्ञान लेते हुए जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती का असर
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी थी। अदालत ने कहा था कि अगर इस तरह के मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो संबंधित अधिकारियों पर अवमानना का मामला दर्ज किया जा सकता है।

पतंजलि का पक्ष
इस मुद्दे पर बाबा रामदेव और पतंजलि की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है। हालांकि, यह मामला योग गुरु और उनकी कंपनी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कानूनी चुनौती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की कानूनी प्रक्रियाओं में पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रतिनिधि कैसे बचाव करते हैं।