इंदौर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता द्वारा की गई शिकायत के बाद मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ लोकायुक्त में एक मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में प्रमुख सचिव, महापौर, जिलाधिकारी (DM) और आयुक्त (कमिश्नर) भी जांच के दायरे में आए हैं।
शिकायत का आधार
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि मंत्री विजयवर्गीय और अन्य संबंधित अधिकारी सरकारी योजनाओं और फंड में अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार हैं। शिकायत में आरोप है कि इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए आर्थिक गड़बड़ी की है और सरकारी संपत्तियों का अनुचित लाभ उठाया है।

लोकायुक्त की कार्रवाई
लोकायुक्त ने मामले की गंभीरता को देखते हुए प्राथमिक जांच शुरू कर दी है। संबंधित दस्तावेज और प्रमाण इकट्ठा किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, लोकायुक्त ने सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा है।
जांच के घेरे में प्रमुख अधिकारी
इस मामले में केवल मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ही नहीं, बल्कि प्रमुख सचिव, महापौर, जिलाधिकारी और नगर निगम आयुक्त भी जांच के घेरे में हैं। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर सरकारी परियोजनाओं में अनियमितता की।
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राजनीतिक माहौल गर्म
यह मामला सामने आने के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है और सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं, भाजपा के अंदरूनी हलकों में भी यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।


मंत्री विजयवर्गीय का बयान
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा, “यह मेरे खिलाफ एक साजिश है। मैंने हमेशा पारदर्शिता के साथ काम किया है और इस मामले में भी जांच का स्वागत करता हूं।”
इस मामले की जांच की प्रगति पर सभी की नजरें टिकी हैं। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। वहीं, अगर आरोप निराधार पाए जाते हैं, तो यह मंत्री और अन्य अधिकारियों के लिए बड़ी राहत होगी।
आगामी दिनों में इस मामले से संबंधित नए खुलासे हो सकते हैं। लोकायुक्त की जांच और इसके नतीजों का प्रदेश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।