भोपाल। मध्यप्रदेश में धान उपार्जन में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण संचालनालय द्वारा की गई समीक्षा में यह खुलासा हुआ कि 43 लाख मैट्रिक टन की कुल खरीदी में से 5100 क्विंटल धान की खरीदी बोगस तरीके से की गई।
इस अनियमितता को लेकर विभाग ने प्रदेश के 20 कलेक्टरों को पत्र लिखकर जांच के निर्देश दिए हैं। समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि ई-उपार्जन पोर्टल में फर्जी एंट्री की गई और बारदाने की भी भारी कमी दर्ज की गई है।

विभाग ने दिए जांच के आदेश
खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने संबंधित कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे मामले की फिजिकल जांच करें और 27 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। विभाग ने साफ किया है कि अनियमितता की पुष्टि होने पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ई-उपार्जन पोर्टल में फर्जी एंट्री
जांच में यह सामने आया कि फर्जी तरीके से धान खरीदी के आंकड़ों को पोर्टल पर अपलोड किया गया। इसके साथ ही बारदाने की कमी को भी नजरअंदाज किया गया। विभाग अब इस पूरे मामले में शामिल लोगों की भूमिका की जांच कर रहा है।
क्यों बढ़ी धान उपार्जन में गड़बड़ी
विशेषज्ञों का मानना है कि ई-उपार्जन प्रणाली में खामियों और संबंधित अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस तरह की गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। इसके अलावा, बारदाने की कमी और खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी भी इन अनियमितताओं का कारण बन रही है।

कलेक्टरों को फिजिकल जांच के निर्देश
विभाग ने स्पष्ट किया है कि 27 जनवरी को फिजिकल जांच की रिपोर्ट अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करनी होगी। इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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सरकार की जवाबदेही पर सवाल
धान उपार्जन में हुए इस बड़े फर्जीवाड़े ने सरकार की जवाबदेही पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल किसानों के विश्वास को प्रभावित कर सकता है, बल्कि प्रदेश की खाद्य सुरक्षा प्रणाली पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
इस फर्जीवाड़े की विस्तृत जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।