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टीचर शराब पीने का बनाते हैं दबाव, छात्र ने सुसाइड से पहले वीडियो में लगाए गंभीर आरोप

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में एक 12वीं कक्षा के छात्र की आत्महत्या ने शिक्षा व्यवस्था और स्कूल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोलारास क्षेत्र में हुई इस घटना में छात्र ने अपनी मौत से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने अपने शिक्षक पर कई गंभीर आरोप लगाए।

वीडियो में लगाए गंभीर आरोप

छात्र ने अपने वीडियो में कहा कि उसका शिक्षक न केवल उसे और अन्य छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था, बल्कि शराब पीने के लिए भी दबाव बना रहा था। वीडियो में उसने कहा कि शिक्षक ने छात्रों के बीच शराब को बढ़ावा दिया और यहां तक कि उन्हें कम से कम एक बार बीयर पीने के लिए मजबूर किया।

छात्र ने सरकार और पुलिस से अपील करते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया जाए, ताकि अन्य बच्चों को ऐसी परिस्थितियों का सामना न करना पड़े। उसने यह भी चेतावनी दी कि यदि सुधार नहीं हुआ, तो अन्य बच्चे भी आत्महत्या जैसे कदम उठा सकते हैं।

रेलवे ट्रैक पर खड़ा होकर दी जान

जानकारी के अनुसार, छात्र कोलारास में रेलवे ट्रैक पर ट्रेन के सामने खड़ा हो गया। ट्रेन के लोको पायलट ने आपातकालीन ब्रेक लगाने की कोशिश की, लेकिन लड़के को बचाया नहीं जा सका। गंभीर हालत में उसे ग्वालियर के अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।

जांच में जुटी पुलिस

घटना की सूचना के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। छात्र के फोन में रिकॉर्ड किए गए वीडियो को प्राथमिक सबूत मानते हुए शिक्षक के खिलाफ जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि इस वीडियो में शिक्षक द्वारा छात्रों को शराब पीने और ट्यूशन लेने के लिए दबाव डालने जैसे आरोप शामिल हैं।

ट्यूशन का दबाव और धमकी

छात्र ने अपने वीडियो में यह भी आरोप लगाया कि शिक्षक उन्हें अपने घर पर ट्यूशन लेने के लिए मजबूर करते थे। अगर कोई छात्र ट्यूशन के लिए मना करता, तो उसे परीक्षा में कम अंक देने की धमकी दी जाती थी।

अस्पताल में दर्ज नहीं हो पाया बयान

गंभीर हालत में अस्पताल ले जाए गए छात्र का बयान दर्ज करने की कोशिश की गई, लेकिन उसकी स्थिति इतनी खराब थी कि वह कुछ भी कहने में असमर्थ रहा।

शिक्षा व्यवस्था पर सवाल

यह घटना न केवल शिक्षक की भूमिका पर सवाल उठाती है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की खामियों को भी उजागर करती है। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देना अब पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।

पुलिस मामले की तह तक जाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दे रही है। इस घटना ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारे स्कूल और शिक्षक बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान हैं।

सरकार से सुधार की अपील

इस घटना के बाद माता-पिता और सामाजिक संगठनों ने सरकार से शिक्षा प्रणाली में सुधार की मांग की है। बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के साथ-साथ शिक्षकों के व्यवहार पर निगरानी रखना भी जरूरी है।

इस दुखद घटना ने शिक्षा जगत में एक गंभीर बहस को जन्म दिया है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए समाज और प्रशासन दोनों को मिलकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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