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सीधी जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली: मझौली अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी

सीधी: जिले का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मझौली चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। यहां स्वीकृत सात चिकित्सकों में सीबीएमओ सहित केवल तीन ही चिकित्सक पदस्थ हैं, जिनमें से सीबीएमओ विभागीय कार्यों के चलते अक्सर बाहर रहते हैं। ऐसे में मात्र दो चिकित्सकों के सहारे ही अस्पताल का संचालन किया जा रहा है।

गौरतलब है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मझौली 30 बिस्तरों वाला अस्पताल है, जिसे विधानसभा चुनाव के पूर्व धौहनी विधायक कुंवर सिंह टेकाम की पहल पर 50 बिस्तर का घोषित किया गया था। पुराने अस्पताल भवन की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए नए निर्माण कार्य की ड्राइंग बनाकर स्वीकृति के लिए भोपाल भेजी गई थी। भवन निर्माण के लिए 11.5 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन अभी तक नए अस्पताल भवन का शिलान्यास भी नहीं हुआ है।

डॉक्टरों की कमी बनी बड़ी समस्या

मझौली अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी के कारण मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से महिला डॉक्टर के अभाव में महिला मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाने की मजबूरी बनी हुई है।

यहां पदस्थ डॉ. राकेश तिवारी की नियुक्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मड़वास में है, लेकिन मझौली में डॉक्टरों की कमी के कारण उन्हें यहां अटैच किया गया है। वे नियमित रूप से मरीजों को सेवाएं देते हैं, जिससे दूर-दराज से मरीज उपचार के लिए मझौली अस्पताल आ रहे हैं। वहीं, हाल ही में पदस्थ डॉ. कृष्णा कोल नियमित रूप से अस्पताल नहीं आते, जिससे मरीजों को काफी कठिनाई हो रही है।

अस्पताल में स्टाफ नर्स, कम्पाउंडर, लैब टेक्नीशियन समेत अन्य स्टाफ पर्याप्त संख्या में हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी के चलते स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो रही हैं। स्थानीय मरीजों का कहना है कि सीबीएमओ डॉ. पीएल सागर अस्पताल में कभी-कभार ही नजर आते हैं, जबकि डॉ. राकेश तिवारी नियमित रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

रेडियोलॉजी सुविधा में देरी

मझौली अस्पताल में रेडियो टेक्नीशियन की नियुक्ति हो गई है, लेकिन भोपाल से केवल छोटी एक्स-रे मशीन दी जा रही है। विधायक कुंवर सिंह टेकाम का कहना है कि मझौली अस्पताल में बड़ी एक्स-रे मशीन लगनी चाहिए, जिससे मरीजों को भविष्य में बेहतर सुविधा मिल सके।

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क्षेत्रीय जनता ने अस्पताल में डॉक्टरों की त्वरित भर्ती की मांग की है, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो सके। डॉक्टरों की भारी कमी के चलते मरीजों को झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। यदि जल्द से जल्द भर्ती नहीं हुई तो स्वास्थ्य संकट और गहरा सकता है।

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