सीधी, 25 मार्च 2025: मध्य प्रदेश विधानसभा में सीधी जिले की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का मुद्दा जोरशोर से उठा। सीधी की विधायक रीति पाठक ने सदन में स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला को घेरते हुए मेडिकल कॉलेज को पीपी (पब्लिक-प्राइवेट) मॉडल से हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि सरकार स्वयं मेडिकल कॉलेज का निर्माण कराए, तो स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो सकता है।
स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति
सीधी जिला आदिवासी बहुल इलाका है, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। जिला अस्पताल में 34 विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन केवल 12 पद ही भरे हुए हैं, जबकि 24 पद खाली पड़े हैं। इससे मरीजों को इलाज के लिए रीवा, जबलपुर या अन्य जिलों में रेफर होना पड़ता है।

रीति पाठक ने कहा कि डॉक्टर यहां नियुक्त होते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में उनका तबादला हो जाता है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इलाज के अभाव में कई मरीजों की जान तक चली जाती है।
पीपी मॉडल को लेकर उठाए सवाल
सीधी में मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए सरकार ने पीपी मॉडल के तहत भूमि आवंटित की थी और टेंडर भी जारी किया गया, लेकिन किसी भी ठेकेदार ने रुचि नहीं दिखाई।

विधायक पाठक ने कहा,
“सीधी में गरीब और आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं को निजी हाथों में देने के बजाय सरकार को खुद इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अगर शासन मेडिकल कॉलेज का निर्माण अपने नियंत्रण में ले, तो जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।”
सरकार क्या बोलेगी?
अब सवाल यह है कि क्या सरकार सीधी की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएगी या यह मुद्दा सिर्फ बहस तक सीमित रहेगा? विधानसभा में यह मुद्दा उठने के बाद अब लोगों को सरकार के जवाब का इंतजार है।
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