मध्यप्रदेश के बैतूल में 17 महीने के बच्चे को जेल में रहना पड़ेगा। दरअसल, इस बच्चे की मां की मौत के मामले में पुलिस ने उसके पिता और दादा-दादी को गिरफ्तार किया था और कोर्ट ने तीनों को जेल भेज दिया। अब बच्चे की परवरिश करने वाला कोई नहीं है, क्योंकि बच्चा पिता व दादा-दादी के अलावा किसी के साथ नहीं रहना चाहता। नाना-नानी भी उसे अपने पास रखने से इंकार कर चुके हैं। ऐसी स्थिति में कोर्ट ने सभी परिस्थितियों पर विचार कर बच्चे को उसकी दादी के साथ जेल में रहने की इजाजत दी है।
कैसे पहुंचा मामला कोर्ट तक?
आमला थाना के रंभाखेड़ी गांव में 24 मार्च को एक नवविवाहिता की मौत के मामले में पुलिस ने महिला के पति, सास और ससुर को गिरफ्तार किया। तीनों को न्यायालय ने जेल भेज दिया। इस मामले में पुलिस के सामने समस्या यह थी कि मां की मौत और परिवार के तीन सदस्यों के जेल चले जाने के बाद बच्चे की देखरेख करने वाला कोई सदस्य नहीं बचा। बच्चा पिता और दादी के अलावा किसी के पास रहने को तैयार नहीं था।


नाना-नानी ने भी रखने से किया इनकार
कोर्ट ने बच्चे के पालन-पोषण और देखरेख के लिए उसके नाना-नानी को बुलाकर चर्चा की, लेकिन उन्होंने बच्चे को अपने पास रखने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने बच्चे की छोटी उम्र, मां की मृत्यु और देखभाल की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया कि बच्चे को उसकी दादी के पास जेल में ही रखा जाए।
जेल प्रशासन को विशेष निर्देश
कोर्ट ने जिला जेल बैतूल के अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह जेल मैनुअल के अनुसार बच्चे की देखभाल सुनिश्चित करे और उसे उचित आहार व अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराए।
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अधिवक्ता शिवम राजेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि मृत महिला के पति ने अस्थि विसर्जन के लिए अनुमति मांगी थी। इस पर कोर्ट ने उसे अस्थि विसर्जन के लिए उसके गांव से ताप्ती घाट, मुलताई ले जाने की अनुमति दी है।
यह मामला सामाजिक और कानूनी दृष्टि से बेहद संवेदनशील है, जिसमें कोर्ट ने बच्चे के हित को सर्वोपरि रखते हुए फैसला सुनाया है।