मोहाली। पंजाब के मोहाली की अदालत ने चर्चित यौन उत्पीड़न मामले में पादरी बजिंदर सिंह को दोषी ठहराते हुए ताउम्र जेल की सजा सुनाई है। 2018 में दर्ज इस मामले में बजिंदर की गिरफ्तारी भी हुई थी, लेकिन वह बाद में जमानत पर रिहा हो गया था। अदालत ने अब उसे भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 376 (बलात्कार), 323 (चोट पहुंचाने), और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी मानते हुए कड़ी सजा सुनाई।
पीड़िता की प्रतिक्रिया: “आज बहुत सारी लड़कियों की जीत हुई”
फैसले के बाद पीड़िता ने कहा,
“यह केवल मेरी नहीं, बल्कि उन सभी पीड़ितों की जीत है जो न्याय की उम्मीद कर रही थीं। मैं डीजीपी से अनुरोध करती हूं कि हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करें क्योंकि हम पर हमले की आशंका बनी हुई है। बजिंदर एक साइको है, और अगर वह जेल से बाहर आया तो फिर से यही अपराध करेगा। इसलिए मैं चाहती हूं कि वह हमेशा जेल में ही रहे।”
क्या था मामला?
पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई थी कि जालंधर के पादरी बजिंदर खुद को चमत्कारों से बीमारियां ठीक करने वाला बताकर लोगों को गुमराह करता था। उसने आरोप लगाया कि 2018 में चंडीगढ़ के सेक्टर-63 में बजिंदर ने उसका यौन शोषण किया और इस घटना को रिकॉर्ड भी किया।

बाद में पादरी ने धमकी दी कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया या उसकी मांगों को पूरा करने से इनकार किया, तो वह वीडियो सोशल मीडिया पर डाल देगा। पुलिस जांच के दौरान, यह भी सामने आया कि बजिंदर पीड़िता को अश्लील संदेश भेजता था।
कैसे हुई गिरफ्तारी?
पुलिस ने जुलाई 2018 में दिल्ली एयरपोर्ट पर लंदन जाने की कोशिश करते समय बजिंदर को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, उसे बाद में जमानत मिल गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए SIT (विशेष जांच टीम) का गठन किया गया था। जांच में बजिंदर समेत अन्य 5 लोगों को आरोपी बनाया गया, लेकिन कोर्ट ने अन्य आरोपियों के खिलाफ सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया।
बजिंदर के आध्यात्मिक छवि के बावजूद सख्त सजा
बजिंदर सिंह को उनके अनुयायी ‘पापा जी’ कहकर बुलाते थे और वह एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में लोकप्रिय था। पीड़िता के वकील अनिल सागर ने फैसले पर संतोष जताते हुए कहा,
“जब कोई आध्यात्मिक नेता इस तरह के अपराध करता है, तो सजा भी ऐसी होनी चाहिए जो समाज के लिए मिसाल बने। हम इस बात से संतुष्ट हैं कि उसे उम्रकैद की सजा दी गई है और वह अपनी आखिरी सांस तक जेल में रहेगा।”
क्या यह मामला एक बड़ी साजिश थी?
इस मामले को लेकर अब तक बजिंदर के अनुयायियों और उनके विरोधियों में बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग इसे एक साजिश करार दे रहे हैं, जबकि अन्य का कहना है कि न्यायपालिका ने सही फैसला सुनाया है।
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अब देखना होगा कि बजिंदर सिंह इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करता है या नहीं। फिलहाल, कोर्ट के इस फैसले ने यौन उत्पीड़न के मामलों में सख्ती और न्याय की उम्मीद बढ़ा दी है।