नई दिल्ली: प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (PMML) ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को पत्र लिखकर उनसे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी दस्तावेज लौटाने का अनुरोध किया है। इन दस्तावेजों को साल 2008 में सोनिया गांधी द्वारा अपने पास रख लिया गया था। अब तक इस पत्र का सोनिया गांधी की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
क्यों उठ रहा है यह मुद्दा?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, PMML की नवगठित सोसाइटी की पहली वार्षिक आम बैठक से ठीक पहले यह पत्र लिखा गया। इससे पहले, फरवरी 2024 में पुरानी सोसाइटी की आखिरी बैठक में भी इन दस्तावेजों पर चर्चा हुई थी।
PMML के रिकॉर्ड के अनुसार, साल 2008 में सोनिया गांधी द्वारा वापस लिए गए दस्तावेजों में नेहरू के जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टाइन, अरुणा आसफ अली, विजया लक्ष्मी पंडित और जगजीवन राम के साथ पत्राचार शामिल हैं।

PMML ने पत्र में रिसर्चर्स के लिए इन दस्तावेजों को उपलब्ध कराने की मांग की है। म्यूजियम के अधिकारियों का कहना है कि नेहरू से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पत्रों को भी लौटाया जाना चाहिए, जिससे शोधकर्ताओं को आधुनिक भारतीय इतिहास को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिले।
2008 में वापस लिए गए थे 51 बॉक्स
PMML की आम बैठक पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई थी, जिसमें यह मुद्दा उठाया गया था कि सोनिया गांधी द्वारा 51 बक्सों में मौजूद दस्तावेजों को वापस लिया गया था। सोसाइटी के अधिकांश सदस्य इस पर सहमति जता चुके हैं कि इन दस्तावेजों को वापस लाना चाहिए।


सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इन दस्तावेजों का मालिकाना हक (Ownership), संरक्षण (Custody), कॉपीराइट (Copyright) और उपयोग (Usage) कानूनी रूप से PMML के पास है या नहीं।
दस्तावेजों का दान और कानूनी पहलू
1971 में इंदिरा गांधी ने नेहरू के उत्तराधिकारी के रूप में PMML को ये दस्तावेज दान किए थे। बाद में, सोनिया गांधी ने भी PMML को यह सामग्री दान में दी थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि अगर ये दस्तावेज पहले ही दान किए जा चुके थे, तो फिर उन्हें वापस क्यों लिया गया?
PMML का पुनर्गठन और नई समिति
इस साल 15 जनवरी को PMML सोसाइटी की कार्यकारी परिषद (Executive Council) का पुनर्गठन किया गया। इसमें प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को पांच साल के लिए अध्यक्ष चुना गया।
इस समिति में कई नए नाम जोड़े गए, जिनमें शामिल हैं:
- पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी
- नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार
- रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हुसैन
- फिल्म निर्माता शेखर कपूर
- संस्कार भारती के वासुदेव कामथ
यह भी पढ़ें:- जयपुर जिला कलेक्ट्रेट को बम से उड़ाने की धमकी, मॉकड्रिल निकली अफवाह
अब देखना यह होगा कि सोनिया गांधी इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं। क्या कांग्रेस इन दस्तावेजों को लौटाने के लिए राजी होगी, या फिर यह मामला कानूनी मोड़ ले सकता है?
इतिहासकार और शोधकर्ताओं के लिए ये दस्तावेज बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि इनमें आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ी कई अहम जानकारियां मौजूद हो सकती हैं। अब यह मुद्दा सिर्फ दस्तावेजों की वापसी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा राजनीतिक विवाद भी बन सकता है।