बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वक्फ बिल राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन चुका है। इससे पहले भी वक्फ बिल का समर्थन करने का असर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देख चुके हैं। रमजान के दौरान नीतीश कुमार और चिराग पासवान द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी का मुस्लिम संगठनों ने बहिष्कार किया था।
लोकसभा में वक्फ बिल पास
बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल (Waqf Bill) पास कर दिया गया। बिल पर 12 घंटे से अधिक चर्चा हुई और 288 सांसदों ने पक्ष में, जबकि 232 ने विपक्ष में मतदान किया। इस बिल को TDP, JDU और LJP का समर्थन मिला।
गौरतलब है कि बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, और इससे पहले नीतीश कुमार और चिराग पासवान का वक्फ बिल समर्थन करना उनके लिए चुनौती बन सकता है।

बिहार में करीब 18% मुस्लिम आबादी है, जो कई विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है। इस वजह से कांग्रेस, राजद, जेडीयू, चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी और जन सुराज पार्टी मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में करने की पूरी कोशिश कर रही हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले इफ्तार पार्टी का बहिष्कार दिखाता है कि मुस्लिम समुदाय में नीतीश कुमार से नाराजगी बढ़ रही है। यह पहली बार था जब मुस्लिम संगठनों ने नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का जोरदार विरोध किया।
वक्फ बिल पर राजनीतिक असर
वक्फ बिल का समर्थन करना नीतीश कुमार और चिराग पासवान के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। जेडीयू ने हमेशा धर्मनिरपेक्ष छवि बनाए रखी है, लेकिन अगर मुस्लिम समुदाय इस बिल को अपने खिलाफ मान लेता है, तो जेडीयू को चुनावी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी तरह, चिराग पासवान की पार्टी पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
महागठबंधन को हो सकता है फायदा
इस मुद्दे का विरोध महागठबंधन के लिए फायदेमंद हो सकता है। बिहार में मुस्लिम-यादव समीकरण पहले से ही राजद के पक्ष में मजबूत रहा है। अगर यह मुद्दा विधानसभा चुनाव तक गर्म रहता है, तो यह आरजेडी के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।
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विधानसभा चुनाव से पहले पटना में पोस्टर वार भी शुरू हो चुका है। सभी प्रमुख दलों की नजर मुस्लिम मतदाताओं पर टिकी हुई है, और चुनाव से पहले वक्फ बिल का समर्थन या विरोध राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।