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देवसर में छात्र हित की बात करने वाले संगठन मौन,40 साल बाद भी नहीं शुरू हुई पीजी की कक्षाएं

सिंगरौली, देवसर। वर्ष 1984 में स्थापित शासकीय महाविद्यालय देवसर आज भी स्नातकोत्तर (PG) कक्षाओं की प्रतीक्षा कर रहा है। बीते 40 वर्षों में महाविद्यालय ने हजारों छात्रों को शिक्षा दी, लेकिन अब तक यहाँ पीजी पाठ्यक्रम की शुरुआत नहीं हो सकी है। इस गंभीर शैक्षणिक कमी का सबसे अधिक असर हरिजन और आदिवासी वर्ग के छात्रों—विशेषकर छात्राओं—पर पड़ रहा है, जो इस क्षेत्र की सामाजिक रीढ़ हैं।

वर्तमान में महाविद्यालय में बीए, बीएससी और बीकॉम की कक्षाएं संचालित हो रही हैं। कुल 1242 विद्यार्थियों में से 745 छात्राएं हैं, जो यह दर्शाता है कि यह कॉलेज छात्राओं की शिक्षा में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। लेकिन यूजी (UG) के बाद जब पीजी (PG) की पढ़ाई की बात आती है, तो विद्यार्थियों को सीधी या बैढ़न जैसे 50 से 60 किलोमीटर दूर के शहरों में जाना पड़ता है। आर्थिक रूप से कमजोर और अति-मध्यवर्गीय परिवारों से आने वाले अधिकतर छात्र-छात्राएं इस दूरी और खर्च के कारण आगे की पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं।

महाविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी

शासकीय महाविद्यालय देवसर में केवल एक नियमित सहायक प्राध्यापक पदस्थ हैं, जबकि शेष 12 पद अतिथि विद्वानों से भरे गए हैं। रसायन शास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक को ही प्राचार्य का अतिरिक्त प्रभार भी संभालना पड़ रहा है। यह हाल तब है जब प्रदेशभर में शिक्षकों की भारी कमी है और वर्षों से नियमित भर्ती नहीं की गई है।

कई बार उठी PG की मांग, लेकिन प्रशासन मौन

विद्यार्थियों और छात्र ने बीते कई वर्षों में PG कक्षाएं शुरू करने की मांग को लेकर आवाज उठाई है। कई बार धरना प्रदर्शन भी हुए, जिनमें छात्र नेता प्रभाकर मिश्रा और अन्य छात्र नेताओं ने भागीदारी की। लेकिन अफसोस की बात है कि इस मुद्दे पर प्रशासन और शासन दोनों ही अब तक मौन हैं।

अब जब नया शैक्षणिक सत्र 2025-26 नजदीक है, विद्यार्थी एक बार फिर उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार उनकी मांग को गंभीरता से लेगी और देवसर कॉलेज में स्नातकोत्तर कक्षाओं की शुरुआत की जाएगी।

छात्र संगठनों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में

इस पूरे मामले में एक और हैरान करने वाली बात यह है कि जो संगठन छात्रों के हितों की बात करते हैं, वे भी इस मुद्दे पर अब निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। इससे विद्यार्थियों में निराशा फैल रही है।

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शिक्षा हर व्यक्ति का अधिकार है, और जब एक कॉलेज 40 वर्षों से अपने छात्रों को अधूरी शिक्षा दे रहा हो, तो यह सिस्टम की विफलता का स्पष्ट उदाहरण है। देवसर महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं अब सरकार से सीधा सवाल पूछ रहे हैं—”क्या हमें भी उच्च शिक्षा का अधिकार नहीं?”

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