उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग 43 (एनएच 43) की हालत बेहद चिंताजनक हो चुकी है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढों ने जहां एक ओर वाहन चालकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, वहीं इन गड्ढों को भरने के लिए नगर पालिका द्वारा किए गए अस्थायी उपाय ने एक नई समस्या को जन्म दे दिया है।
नगर पालिका द्वारा सड़क के गड्ढों को अस्थायी रूप से भरने के लिए क्रेशर डस्ट का उपयोग किया गया। हालांकि, यह उपाय टिकाऊ साबित नहीं हुआ। गर्मी और सूखे मौसम के चलते यह क्रेशर डस्ट अब धूल का गुबार बनकर उड़ने लगा है, जिससे स्थानीय निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उड़ती धूल ने लोगों का सांस लेना मुश्किल कर दिया है और इससे श्वसन संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ गया है।
स्थानीय निवासी मनोज सेन ने बताया, “पहले सड़क के गड्ढों की वजह से दुर्घटनाएं हो रही थीं, लेकिन अब धूल के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया है। घर के अंदर तक धूल भर जाती है और बच्चों व बुजुर्गों की तबियत पर इसका असर पड़ रहा है।”
वहीं, क्षेत्र के दुकानदारों की भी हालत खराब है। एक दुकान संचालक ने बताया, “धूल की वजह से हर घंटे सामान साफ करना पड़ता है। ग्राहक भी दुकानों में आने से कतराने लगे हैं। व्यापार पर इसका सीधा असर पड़ रहा है।”

एनएच 43 जैसे अहम मार्ग की यह हालत स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। यह मार्ग न सिर्फ जिले को अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ता है, बल्कि भारी मालवाहक ट्रकों और निजी वाहनों की आवाजाही भी इसी पर निर्भर करती है। आए दिन हो रही दुर्घटनाएं और अब धूल से बिगड़ती स्वास्थ्य स्थितियाँ, दोनों ही क्षेत्रवासियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं।
स्थानीय लोगों की मांग है कि सड़क की स्थायी मरम्मत जल्द से जल्द की जाए और क्रेशर डस्ट की जगह बेहतर विकल्प अपनाया जाए, जिससे यह समस्या और न बढ़े। प्रशासन को चाहिए कि वह हालात की गंभीरता को समझते हुए शीघ्र प्रभावी कदम उठाए।
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जनहित में जल्द समाधान न निकलने की स्थिति में लोगों द्वारा आंदोलन की चेतावनी भी दी जा रही है।