राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने मंगलवार को झालावाड़ जिले के रायपुर कस्बे में पेयजल संकट को लेकर जल जीवन मिशन और जलदाय विभाग के अधिकारियों की कड़ी क्लास ली। ग्रामीणों की शिकायतों पर मौके पर पहुंची राजे ने अफसरों से तीखे सवाल पूछते हुए कहा, “क्या जनता को प्यास नहीं लगती? सिर्फ आप अफसरों को ही लगती है?”
पूर्व सीएम ने गर्मी के मौसम में गांवों में फैले पेयजल संकट को प्रशासनिक असफलता करार दिया और स्पष्ट शब्दों में चेताया कि जनता के धैर्य की परीक्षा मत लें। उन्होंने कहा, “पानी कागजों में नहीं, लोगों के होठों तक पहुँचना चाहिए। अफसर सो रहे हैं, लोग रो रहे हैं। मैं ऐसा नहीं होने दूंगी।”
राजे ने अधिकारियों से यह भी पूछा कि प्रधानमंत्री द्वारा जल जीवन मिशन के तहत आवंटित 42 हजार करोड़ रुपये में से झालावाड़ को मिले हिस्से का उपयोग कहां और कैसे हुआ? उन्होंने जवाबदेही की मांग करते हुए कहा, “पाई-पाई का हिसाब दो। योजनाएं हैं, पैसा है, फिर भी पानी नहीं है — आखिर क्यों?”
वसुंधरा राजे के इस तेवर के बाद विपक्ष ने भी सरकार पर निशाना साधा। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सोशल मीडिया पर लिखा, “पूर्व मुख्यमंत्री को अपनी ही सरकार में अफसरों के सामने मजबूरी में बोलना पड़ रहा है। यह भाजपा सरकार की विफलता का सबसे बड़ा प्रमाण है।”

राजे ने आगे कहा कि यह तो अप्रैल की स्थिति है, जून-जुलाई में हालात और गंभीर हो सकते हैं। उन्होंने जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता सहित उपस्थित किसी भी अधिकारी के जवाब को असंतोषजनक बताया और निर्देश दिए कि रायपुर सहित आसपास के सभी प्रभावित गांवों में तुरंत वैकल्पिक पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि झालावाड़ में पेयजल संकट को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आमजन को राहत देना सरकार और प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है, और अगर अधिकारी इस जिम्मेदारी से चूकते हैं, तो सख्त कार्रवाई तय है।
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इस दौरान ग्रामीणों ने भी पानी की गंभीर समस्या को साझा किया और राजे से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। राजे ने लोगों को भरोसा दिलाया कि जब तक हर घर तक पानी नहीं पहुंचता, वे चैन से नहीं बैठेंगी।