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सीधी जिले में तालाब निर्माण में फर्जीवाड़ा: ग्रामीणों का रास्ता बंद, मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

सीधी जिले के सिहावल जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत कोदौरा के ग्राम उफरौली में चल रहा तालाब निर्माण विवादों में घिर गया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि निर्माण कार्य में अनियमितताएं की जा रही हैं, जिससे न केवल ग्रामीणों के रास्ते बंद हो रहे हैं, बल्कि वास्तविक मजदूरों को काम से भी वंचित किया जा रहा है।

फर्जी मजदूरों के नाम पर निकाली जा रही मजदूरी

स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ता कामरेड बद्री मिश्रा ने बताया कि तालाब निर्माण कार्य में फर्जी मजदूरों की तस्वीरें और नाम योजना में दर्ज कर उनके बैंक खातों में मजदूरी की राशि भेजी जा रही है। बाद में उन खातों से मजदूरी की राशि निकालकर 200 रुपये प्रति मजदूर देकर पूरा पैसा जेसीबी मालिक को सौंपा जा रहा है
उन्होंने कहा कि “गांव के वास्तविक मजदूर रोजगार के लिए तरस रहे हैं, जबकि कागजों में मजदूरी दिखाकर पैसे का दुरुपयोग हो रहा है।”

शासकीय भूमि पर डाली गई मिट्टी, रास्ता हुआ बंद

तालाब की खुदाई से निकली मिट्टी को शासकीय भूमि पर डंप किया जा रहा है, जिससे गांव का आम रास्ता पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है। इससे स्कूली बच्चों, किसानों और ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सीधी जिले में तालाब निर्माण में फर्जीवाड़ा: ग्रामीणों का रास्ता बंद, मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

ग्राम पंचायत के निवासी दादू पांडेय के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्टर सीधी को ज्ञापन सौंपा और मांग की कि:

  • गांव के आम रास्ते को तत्काल खुलवाया जाए
  • तालाब निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच करवाई जाए
  • फर्जी मजदूरों के स्थान पर वास्तविक मजदूरों को रोजगार दिया जाए

जिले में बढ़ रहा मजदूरी का संकट

कामरेड बद्री मिश्रा ने बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं है। जिले की कई पंचायतों में मशीनों से काम कराकर योजनाओं की मूल भावना को ठेंगा दिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “जब मजदूरों को स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिलेगा, तो उन्हें पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।”

उन्होंने आगे कहा कि शासन की मनरेगा जैसी योजनाएं सिर्फ कागजों पर रह गई हैं, और जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत के कारण यह सब संभव हो रहा है।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

फिलहाल स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या बयान सामने नहीं आया है। ग्रामीणों का कहना है कि वे कई बार अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।

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उफरौली गांव का मामला स्थानीय स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उदासीनता की एक बड़ी तस्वीर पेश करता है। जहां एक ओर सरकार रोजगार देने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर मजदूरों को न काम मिल रहा है, न न्याय। यदि समय रहते जांच कर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह मामला और भी व्यापक विरोध का रूप ले सकता है।

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