मेन्यू :- क्या आपने कभी किसी रेस्टोरेंट में खाने के बाद बिल देखकर चौंकते हुए सोचा है – “इतना कब खर्च हो गया?” अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। असल में, रेस्टोरेंट्स सिर्फ खाना नहीं परोसते – वो हमारे दिमाग से भी खेलते हैं। जी हां! मेन्यू डिज़ाइन से लेकर लाइटिंग और म्यूज़िक तक सब कुछ प्लानिंग का हिस्सा होता है ताकि ग्राहक ज़्यादा समय बिताए और ज़्यादा खर्च करे।
चलिए जानते हैं वो स्मार्ट ट्रिक्स जो रेस्टोरेंट्स हमारे साथ अपनाते हैं:
💸 मेन्यू में ‘₹’ नहीं दिखता, क्यों?
आपने गौर किया होगा कि कई बार मेन्यू में सिर्फ “299” लिखा होता है, “₹” या “रुपये” नहीं लिखा होता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जैसे ही हमारे दिमाग को “₹” दिखाई देता है, हम तुरंत खर्च के बारे में सोचने लगते हैं। बिना रुपये का नंबर हल्का लगता है और हम ज़्यादा खर्च करने को तैयार हो जाते हैं।
🍽️ नामों में होता है स्वाद का जादू
सोचिए – “पनीर बटर मसाला” बनाम “दिलकश मलाई में डूबा देसी मसालों वाला सिग्नेचर पनीर”। दोनों एक जैसी डिश हो सकती हैं, लेकिन दूसरा नाम सुनते ही मूड बन जाता है। ये होता है शब्दों का जादू। फैंसी नामों से रेस्टोरेंट आपके दिमाग को डिश की कीमत जस्टिफाई करने के लिए तैयार करता है।

📸 फोटो, बॉक्स और हाइलाइटेड आइटम्स – सिर्फ सजावट नहीं
मेन्यू में जो आइटम बॉक्स में होते हैं, मोटे अक्षरों में लिखे होते हैं या फोटो के साथ दिखते हैं – वो रेस्टोरेंट की सबसे ज्यादा कमाई वाली डिश होती हैं। आपकी नज़र वहीं जाएगी और आप वही ऑर्डर करेंगे।
🎶 माहौल भी एक मनोवैज्ञानिक चाल है
धीमा म्यूज़िक, सॉफ्ट लाइटिंग और अच्छी खुशबू – ये सब मिलकर आपको लंबे समय तक रुकने के लिए प्रेरित करते हैं। जितना ज्यादा आप बैठेंगे, उतना ज़्यादा ऑर्डर करेंगे और बिल में बढ़ोतरी होगी।
🧠 क्या करें? – स्मार्ट ग्राहक बनें
- मेन्यू ध्यान से पढ़ें, बॉक्स या फोटो वाली डिश पर फोकस न करें।
- fancy नाम से बहकें नहीं – ज़रूरत के हिसाब से ऑर्डर करें।
- ज़्यादा देर बैठने से परहेज़ करें, जब भूख मिट जाए तो निकल लें।
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रेस्टोरेंट्स को सिर्फ अच्छे खाने के लिए क्रेडिट देना ठीक नहीं, उन्हें मार्केटिंग और साइकोलॉजी की समझ का भी मास्टर कहा जाना चाहिए। अगली बार जब आप किसी फैंसी रेस्टोरेंट में जाएं, तो सिर्फ स्वाद के भरोसे न रहें – दिमाग भी एक्टिव रखें। ताकि खाना भी एंजॉय करें और पैसे भी ज़्यादा न खर्च हों।
क्योंकि खाने का मज़ा तब दोगुना होता है, जब जेब भी खुश रहे!