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भारत ने बदली रेलवे रणनीति: बांग्लादेश में रेल परियोजनाएं रोकी, नेपाल-भूटान के रास्ते तलाशने की तैयारी

चिकन नेक कॉरिडोर में रेल नेटवर्क के विस्तार पर जोर, 5000 करोड़ की परियोजनाएं अस्थायी रूप से निलंबित

नई दिल्ली, 22 अप्रैल 2025
बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता और भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच भारत सरकार ने वहां चल रही करीब 5000 करोड़ रुपये की रेल संपर्क परियोजनाओं पर निर्माण और फंडिंग अस्थायी रूप से रोक दी है। यह फैसला भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को मुख्यभूमि और बांग्लादेश के बंदरगाहों से जोड़ने के उद्देश्य से की गई रणनीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, भारत अब नेपाल और भूटान के रास्ते वैकल्पिक सीमा पार रेल संपर्क विकसित करने की दिशा में सक्रिय हो गया है। इसके अलावा, सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) के जरिए उत्तर-पूर्वी राज्यों तक संपर्क मजबूत करने के लिए इस क्षेत्र में रेल लाइनों की संख्या दोगुनी से चौगुनी तक बढ़ाने की योजना पर भी तेज़ी से काम चल रहा है।

क्यों बदली रणनीति?

भारत के इस कदम के पीछे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस का एक बयान माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने चिकन नेक क्षेत्र की भौगोलिक अहमियत पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि “भारत के पूर्वोत्तर की पहुंच के लिए बांग्लादेश ही समुद्र का एकमात्र संरक्षक है।” इस बयान को रणनीतिक रूप से भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता और निर्भरता पर संकेत के तौर पर देखा गया, जिससे दिल्ली में चिंता गहराई।

निलंबित की गईं प्रमुख परियोजनाएं

भारत ने जिन तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर फिलहाल रोक लगाई है, उनमें शामिल हैं:

  • अखौरा-अगरतला क्रॉस बॉर्डर रेल लिंक
  • खुलना-मोंगला पोर्ट रेल लाइन
  • ढाका-टोंगी-जॉयदेबपुर रेल विस्तार परियोजना

इनके अतिरिक्त, भारत द्वारा प्रस्तावित पांच अन्य रेल मार्गों के सर्वेक्षण कार्य को भी फिलहाल के लिए रोक दिया गया है।

क्या था उद्देश्य?

इन परियोजनाओं का मकसद भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को तेज़, सुरक्षित और सस्ते ट्रांसपोर्ट विकल्पों से जोड़ना था। साथ ही, भारत की जमीन का उपयोग करते हुए बांग्लादेश नेपाल और भूटान में अपना माल भी भेजता रहा है। ऐसे में इन परियोजनाओं के रुकने से बांग्लादेश के निर्यात हितों को भी झटका लग सकता है

आगे की रणनीति: वैकल्पिक रास्तों की खोज

भारत अब इस निर्भरता को कम करने के लिए नेपाल और भूटान के जरिए वैकल्पिक अंतरराष्ट्रीय मार्ग विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है। साथ ही, सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जो महज़ 22 किलोमीटर चौड़ा है और जिसे भारत का ‘लाइफलाइन कॉरिडोर’ कहा जाता है, वहां रेल संपर्क का विस्तार तेज़ किया जाएगा।

यह कॉरिडोर पश्चिम बंगाल को असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय समेत सभी पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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भारत की यह रणनीति न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे बांग्लादेश पर निर्भरता कम होगी और नेपाल-भूटान के साथ आर्थिक सहयोग को नया आयाम मिलेगा। आने वाले दिनों में यह देखने योग्य होगा कि भारत किस गति से इन वैकल्पिक परियोजनाओं पर अमल करता है और इससे पूर्वोत्तर की कनेक्टिविटी पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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