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सिकल सेल उन्मूलन की ओर एक और कदम: पीएम मोदी की पहल पर विशेष डाक लिफाफे से जागरूकता अभियान तेज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी पहल ‘2047 तक सिकल सेल मुक्त भारत’ को सशक्त बनाने के लिए अब डाक विभाग भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। मध्यप्रदेश राजभवन के विशेष सहयोग से एक अनूठी पहल के तहत ऐसे डाक लिफाफे तैयार किए गए हैं जो सिकल सेल रोग की रोकथाम और जागरूकता का संदेश देंगे। इन लिफाफों पर इस अभियान को समर्पित एक पांच रुपए का विशेष डाक टिकट भी लगाया गया है।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल स्वयं इस मुहिम के प्रमुख प्रेरक हैं। वे राज्य में सिकल सेल की स्थिति पर गंभीरता से नज़र रखे हुए हैं और इस बीमारी के उन्मूलन को मिशन मोड में संचालित कर रहे हैं। राज्यपाल न केवल योजनाओं की मॉनिटरिंग कर रहे हैं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर इसकी हकीकत का भी अवलोकन कर रहे हैं।

89 आदिवासी ब्लॉकों में शत-प्रतिशत स्क्रीनिंग

मध्यप्रदेश में सिकल सेल रोग का सर्वाधिक प्रभाव आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में देखा गया है। इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 89 आदिवासी ब्लॉकों में 40 वर्ष तक की आयु के लोगों की शत-प्रतिशत स्क्रीनिंग पूरी कर ली है। इस प्रक्रिया के लिए राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर विशेष टास्क फोर्स गठित की गई है।

इन ब्लॉकों में न केवल स्क्रीनिंग की जा रही है, बल्कि नि:शुल्क उपचार, प्रसव पूर्व निदान, नवजात की 72 घंटे में जांच, और टेलीकंसल्टेशन की सुविधा जैसी सेवाएं भी दी जा रही हैं। गर्भवती महिलाओं को समय पर जांच के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और कलर-कोडेड जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड भी प्रदान किए गए हैं, जिससे विवाह पूर्व सलाह और बचाव संभव हो सके।

चित्रों से संदेश, गांव-गांव तक पहुंच

इन विशेष डाक लिफाफों पर पांच प्रमुख संदेशों को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। ये चित्र ग्रामीण और कम पढ़े-लिखे वर्ग के लिए भी सहज और समझने योग्य हैं:

  1. सिकल सेल की समय पर जांच कराएं।
  2. जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड का मिलान करें।
  3. कार्ड मिलान के बाद ही विवाह करें।
  4. गर्भावस्था के दौरान जांच कराएं।
  5. नवजात शिशु की 72 घंटे के भीतर स्क्रीनिंग कराएं।

ये चित्र जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से डाक सेवाओं के माध्यम से हर कोने तक पहुंचेंगे।

सिकल सेल की स्थिति – एक नजर में

राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 5.5 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है, जिनमें से 1.58 लाख लोगों में लक्षण पाए गए और 2 लाख से अधिक सिकल सेल रोगी पाए गए हैं।
मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां 1.05 करोड़ से अधिक लोगों की जांच हुई है, जिनमें से 28,530 लोग सिकल सेल रोगी पाए गए हैं। यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि समस्या गंभीर है और इसके प्रति संवेदनशील एवं योजनाबद्ध प्रयासों की आवश्यकता है।

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2047 तक लक्ष्य

प्रधानमंत्री मोदी ने देश को वर्ष 2047 तक सिकल सेल मुक्त बनाने का जो संकल्प लिया है, वह न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम है। डाक विभाग के माध्यम से इस अभियान को एक नई ऊर्जा मिली है, जो जन-जन तक संदेश पहुंचाने का सशक्त माध्यम बनेगा।

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