भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर (लगभग 11,105 करोड़ रुपये) का लोन दिए जाने पर भारत में तीखी नाराजगी देखी जा रही है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस नाराजगी को खुले तौर पर स्वर देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जवाब मांगा है।
उमर अब्दुल्ला का तीखा सवाल
उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा:
“अगर IMF पाकिस्तान को संसाधन मुहैया कराता रहेगा, जिसका इस्तेमाल वो पुंछ, राजौरी, उरी, तंगधार और कई अन्य जगहों को तबाह करने में करेगा, तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय कैसे सोचता है कि इस उपमहाद्वीप में तनाव कम हो जाएगा?”
उनका यह बयान उस समय आया है जब भारत के कई सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तानी हमले की खबरें लगातार सामने आ रही हैं।
IMF ने दी मदद, भारत ने जताई आपत्ति
IMF ने पाकिस्तान को लोन देने की पुष्टि की है। इस फैसले का भारत ने न सिर्फ विरोध किया, बल्कि लोन से जुड़ी वोटिंग से भी हाथ खींच लिया। भारत ने चेताया था कि पाकिस्तान इस फंड का उपयोग आतंकवाद और सैन्य संघर्ष के लिए कर सकता है।

भारत ने IMF से कहा कि:
- पाकिस्तान ने पहले भी बेलआउट पैकेज का दुरुपयोग किया है
- IMF की शर्तों का लगातार उल्लंघन किया है
- यह लोन उपमहाद्वीप में शांति के बजाय अस्थिरता ला सकता है
पाकिस्तान का दावा: “भारत की रणनीति विफल”
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने IMF लोन को “कूटनीतिक जीत” बताया और कहा कि भारत की दबाव की रणनीति सफल नहीं हो पाई। साथ ही यह भी दावा किया कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अब विकास के रास्ते पर है।
भारत की चिंता: लोन से बढ़ेगा आतंक
भारत की चिंता यह है कि यह फंड पाकिस्तान के आतंकी एजेंडे को और ताकत दे सकता है, विशेषकर ऐसे समय में जब:
- 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए
- इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और POK में आतंकी ठिकानों पर हमला किया
- 7 से 10 मई के बीच कई सीमा पार से हमले हुए, जिन्हें भारत ने विफल किया
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IMF का यह फैसला भारत के लिए राजनयिक और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर झटका माना जा रहा है। उमर अब्दुल्ला जैसे संवैधानिक पद पर बैठे नेता द्वारा की गई आलोचना यह दिखाती है कि इस मसले को अब आंतरिक राजनीतिक विमर्श में भी गंभीरता से उठाया जा रहा है।