तमिलनाडु के बहुचर्चित और शर्मनाक पोल्लाची यौन उत्पीड़न कांड में मंगलवार को न्याय की बड़ी जीत मिली। कोयंबटूर की विशेष महिला अदालत ने इस बहुचर्चित मामले में 9 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला 2019 में हुए उस घिनौने कांड के चार साल बाद आया है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
महिलाओं को बना रखा था शिकार
2019 में सामने आए इस मामले ने पूरे तमिलनाडु और देशभर में गुस्से और आक्रोश की लहर पैदा कर दी थी। पोल्लाची के इस गिरोह ने 8 महिलाओं को अपने जाल में फंसाया, फिर उन्हें सुनसान जगहों पर ले जाकर बलात्कार किया, और इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया गया। आरोपी पीड़िताओं से पैसे वसूलते थे और धमकी देते थे कि अगर उन्होंने किसी से बात की, तो वीडियो सार्वजनिक कर देंगे।
इस मामले के सामने आने के बाद सरकार और पुलिस पर कार्रवाई का भारी दबाव बना। तत्परता दिखाते हुए तमिलनाडु पुलिस ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया, जिसने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया। मामले की सुनवाई कोयंबटूर की अतिरिक्त महिला न्यायाधीश नंदिनी देवी की अदालत में की गई।

मंगलवार को कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह सजा सिर्फ पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए नहीं, बल्कि समाज में एक सख्त संदेश देने के लिए भी है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अदालत ने बलात्कार, आपराधिक साजिश, ब्लैकमेलिंग और महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसी गंभीर धाराओं के तहत आरोपियों को दोषी करार दिया।
हालांकि सजा की सभी कानूनी औपचारिकताएं सार्वजनिक नहीं की गई हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक सभी दोषियों को उम्रकैद (आजीवन कारावास) की सजा दी गई है। साथ ही अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि पीड़िताओं की पहचान और गोपनीयता पूरी तरह सुरक्षित रखी जाए।
समाज में आक्रोश, फैसले का स्वागत
इस ऐतिहासिक फैसले के बाद सामाजिक संगठनों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और आम जनता ने न्यायपालिका के इस निर्णय का स्वागत किया है। फैसले को महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम बताया गया है। तमिलनाडु में इस मामले के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन और रैलियां हुई थीं। कई राजनीतिक दलों ने भी इसे विधानसभा और संसद में उठाया था।
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आज जब अदालत ने दोषियों को कड़ी सजा सुनाई, तो यह उन तमाम पीड़िताओं के साहस और हिम्मत की जीत है, जिन्होंने न सिर्फ अत्याचार झेला बल्कि सिस्टम के खिलाफ खड़े होकर इंसाफ की लड़ाई लड़ी।
यह फैसला भारतीय न्याय प्रणाली की ओर से बलात्कार और ब्लैकमेल जैसे जघन्य अपराधों के खिलाफ एक कठोर और स्पष्ट संदेश है — कि अपराध कितना भी संगठित क्यों न हो, कानून के हाथ लंबे हैं और न्याय जरूर होगा।