पाकिस्तान एक बार फिर आतंकवाद को समर्थन देने के आरोपों के घेरे में है। ताजा मामला जैश-ए-मोहम्मद के सरगना और अंतरराष्ट्रीय आतंकी मसूद अजहर से जुड़ा है। खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार मसूद अजहर को 14 करोड़ रुपये की सहायता देने की योजना बना रही है। यह रकम हाल ही में घोषित किए गए ‘शुहादा पैकेज’ के तहत दी जाएगी।
क्या है ‘शुहादा पैकेज’?
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने यह योजना उन आतंकियों के परिवारों के लिए शुरू की है जो भारत के ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए। इस पैकेज के तहत प्रत्येक मृत आतंकी के परिवार को एक करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मसूद अजहर के बहावलपुर स्थित घर पर हमला हुआ, जिसमें उसके परिवार और संगठन से जुड़े 14 लोग मारे गए। ऐसे में पाकिस्तान सरकार मसूद अजहर को 14 करोड़ रुपये देने की तैयारी में है।
मसूद अजहर के घर पर क्या हुआ था?
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों पर निशाना साधा। मसूद अजहर का घर भी इस हमले की जद में आया। हमले में मसूद की बहन, बहनोई, भाई अब्दुल रऊफ अजहर और उनके बच्चे मारे गए। ये सभी जैश-ए-मोहम्मद से सीधे तौर पर जुड़े हुए थे। मसूद का भाई संगठन का कमांडर था और बहनोई आतंकी ट्रेनिंग देता था।

मसूद को ही पैसा क्यों?
सरकार ने भले ही सीधे मसूद का नाम न लिया हो, लेकिन जिन लोगों की मौत हुई, वे सभी उसके नजदीकी और संगठन के सक्रिय सदस्य थे। इसलिए यह सहायता राशि मसूद को ही दी जानी तय मानी जा रही है। मसूद ही उनका मुख्य अभिभावक और संगठन का मुखिया है।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक मारे गए थे। इसके जवाब में भारत ने 7-8 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर हमला किया। इसमें जैश-ए-मोहम्मद के कई ठिकाने ध्वस्त हुए।
मसूद अब कहां है?
खबरों के मुताबिक, मसूद अजहर अब अंडरग्राउंड है और पाकिस्तानी सेना ने उसे एक सुरक्षित ठिकाने पर छिपा रखा है। यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान पर मसूद को संरक्षण देने के आरोप लगे हों।
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मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित एक वैश्विक आतंकवादी है। भारत कई बार कह चुका है कि पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है। अब अगर मसूद को खुलकर आर्थिक मदद दी जा रही है, तो यह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के लिए गंभीर चुनौती है।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या एक आतंकी को सरकार की ओर से इस तरह की खुली मदद देना सही है? और क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर चुप रहेगा?