Homeप्रदेश"मैं नशे में हूं, नहीं आ सकता" – अफसर के इस बयान...

“मैं नशे में हूं, नहीं आ सकता” – अफसर के इस बयान पर कलेक्टर ने थमाया कारण बताओ नोटिस

नरसिंहपुर जिले में 26 से 28 मई के बीच उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्री के प्रस्तावित दौरे की तैयारियों के बीच एक अफसर की कथित गैर-जिम्मेदाराना हरकत सुर्खियों में है। लोक निर्माण विभाग (PWD) के प्रभारी कार्यपालन यंत्री अरनव गुहा को जिला कलेक्टर शीतला पटले ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आरोप है कि जब उन्हें कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण के लिए बुलाया गया, तो उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि वे शराब के नशे में हैं।

क्या है मामला?

सूत्रों के अनुसार, आगामी 26 से 28 मई तक जिले में कृषि उद्योग समागम आयोजित होना है, जिसमें उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्री समेत कई वीवीआईपी शामिल होंगे। कार्यक्रम स्थल कृषि विज्ञान केंद्र के पास निर्धारित किया गया है। कार्यक्रम की तैयारियों में मंच और हेलीपैड निर्माण जैसे कार्यों के लिए PWD की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है।

18 मई को कार्यपालन यंत्री अरनव गुहा को कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन वे तय समय पर नहीं पहुंचे। जब कलेक्टर कार्यालय से संपर्क किया गया, तो आरोप है कि गुहा ने जवाब दिया – “मैं शराब के नशे में हूं, नहीं आ सकता।”

कलेक्टर ने जारी किया नोटिस

जिला कलेक्टर शीतला पटले ने इसे अनुशासनहीनता और सरकारी आदेशों की अवहेलना माना है। नोटिस में कहा गया है कि कार्यपालन यंत्री की भूमिका इस कार्यक्रम में अत्यंत महत्वपूर्ण है, फिर भी उन्होंने गंभीर लापरवाही बरती। अब उनसे तीन दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। यदि जवाब संतोषजनक नहीं हुआ या समय पर नहीं दिया गया, तो उनके खिलाफ मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

यंत्री गुहा का इनकार

कार्यपालन यंत्री अरनव गुहा ने खुद पर लगे आरोपों को नकारते हुए कहा है कि वे शराब नहीं पीते और यह आरोप बेबुनियाद है। उन्होंने NDTV से बातचीत में बताया कि वह मानसिक रूप से आहत हैं और कलेक्टर के नोटिस का उचित जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं।

सवालों के घेरे में अफसरशाही

इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब राज्य के सबसे बड़े अधिकारी जिला दौरे पर हों और जिम्मेदार अफसर इस तरह के रवैये का प्रदर्शन करें, तो उसकी जवाबदेही तय करना अनिवार्य हो जाता है। अफसरशाही में अनुशासन और जवाबदेही की उम्मीद की जाती है, लेकिन यहां मामला उल्टा नज़र आता है।

यह भी पढ़ें:- किश्तवाड़ में आतंकियों से मुठभेड़, 3 से 4 आतंकी फंसे होने की आशंका

अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यंत्री अरनव गुहा कलेक्टर के नोटिस का क्या जवाब देते हैं और प्रशासन उनके जवाब को कितना स्वीकार करता है। यदि आरोप सही पाए गए, तो यह मामला पूरे राज्य के प्रशासनिक तंत्र के लिए एक चेतावनी की तरह होगा। वहीं, यदि अफसर निर्दोष साबित होते हैं, तो उनके सम्मान की बहाली भी जरूरी होगी।

RELATED ARTICLES

Most Popular