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नशे में धुत पुलिसकर्मी का वर्दी के रौब का वीडियो वायरल, आम नागरिक से की गई बदसलूकी

श्योपुर, मध्यप्रदेश।
जहाँ एक ओर पुलिस विभाग को नागरिकों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है, वहीं श्योपुर में एक घटना ने खाकी वर्दी को शर्मसार कर दिया है। बीते मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात शहर के मुख्य बाजार क्षेत्र में रात्रि गश्त के दौरान दो पुलिसकर्मियों की शर्मनाक हरकत कैमरे में कैद हो गई, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

इस वीडियो में एक पुलिसकर्मी पूरी तरह शराब के नशे में नजर आ रहा है, जबकि दूसरा भी नशे में धुत अपने साथी का साथ देता दिखाई दे रहा है। दोनों पुलिसकर्मियों ने एक निर्दोष कार सवार को बिना किसी वैध कारण के रोककर करीब डेढ़ घंटे तक परेशान किया।

शराब के नशे में गश्त, कानून को ताक पर रख पुलिस का बेजा इस्तेमाल

घटना में शामिल पुलिसकर्मियों की पहचान कॉन्स्टेबल महेश कुमार और हेड कॉन्स्टेबल दीपेश कुमार के रूप में हुई है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महेश कुमार पूरी तरह नशे में था—उसके बोलने का ढंग, चाल और शरीर से आती शराब की बदबू से यह स्पष्ट था। जबकि दीपेश कुमार ने शराब तो नहीं पी थी, लेकिन वह भी अपने साथी के साथ मिलकर नागरिकों को परेशान करने में पीछे नहीं रहा।

पीड़ित कार सवार नईम खान ने बताया कि उन्होंने वाहन से संबंधित सभी दस्तावेज—आरसी, ड्राइविंग लाइसेंस और एग्रीमेंट लेटर—दिखाए, फिर भी पुलिसकर्मी यह कहकर उन्हें परेशान करते रहे कि गाड़ी उनके नाम पर रजिस्टर्ड क्यों नहीं है। नईम ने आरोप लगाया कि उनसे एक हजार रुपये की मांग भी की गई

वीडियो वायरल, पुलिसकर्मी कैमरे में करते दिखे बहस

वीडियो में साफ दिख रहा है कि पुलिसकर्मी खुद मानते हैं कि गाड़ी के कागजात तो हैं, लेकिन कार खरीदार ने अब तक अपने नाम पर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है। वे जोर देकर कहते हैं कि यही वजह है कि गाड़ी को रोका गया। हालांकि, यह पूरी प्रक्रिया कानून की धाराओं के खिलाफ है, क्योंकि वाहन चेकिंग, जब्ती या चालान का अधिकार केवल एएसआई या उससे ऊपर के अधिकारी को होता है, और उसके लिए रोजनामचा में प्रविष्टि आवश्यक होती है।

जब मीडिया कर्मी मौके पर पहुंचे, तो भी दोनों पुलिसकर्मी झुके नहीं, बल्कि उल्टा रिपोर्टरों से सवाल-जवाब करने लगे। बाद में कोतवाली टीआई दिनेश राजपूत से फोन पर बात कराई गई, जिन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी वाहन का नामांतरण हुआ या नहीं, यह कोई आपराधिक विषय नहीं है।

टीआई बोले—जांच कर होगी कार्रवाई

इस पूरे मामले पर टीआई दिनेश राजपूत ने कहा:

“गाड़ी किसी के भी नाम पर हो सकती है, यह कोई अपराध नहीं है। मैंने वीडियो देखा है, पूरे मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।”

वहीं, कार सवार नईम खान का कहना है कि वे बारां से काम निपटाकर रात लगभग 1 बजे घर लौट रहे थे।

“घर पहुंचने से पहले दो पुलिसकर्मियों ने मुझे रोका। मैं सब कागजात दिखा चुका था, फिर भी वो गाड़ी अपने नाम पर क्यों नहीं कराई, इसका बहाना बनाकर पैसे मांगने लगे। जब मैंने इंकार किया तो मुझे धमकाया और गाड़ी को जबरन थाने ले जाने की धमकी दी।”

जनता का गुस्सा, पुलिस की गरिमा पर सवाल

इस घटना के वायरल होने के बाद श्योपुर के नागरिकों में गहरा रोष है। लोगों का कहना है कि जिन पुलिसकर्मियों पर कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी है, वही नशे में कानून तोड़ते नजर आ रहे हैं। ऐसे में आम नागरिकों की सुरक्षा और पुलिस की विश्वसनीयता गंभीर सवालों के घेरे में है।

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पुलिस प्रशासन के लिए यह घटना एक कठिन परीक्षा की घड़ी है। यदि सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो यह वर्दी का सम्मान और जनता का भरोसा दोनों खो सकता है।

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