ग्वालियर: जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़ी कार्रवाई की गई है। नर्सिंग होम्स एक्ट के उल्लंघन और सुरक्षा मानकों की अनदेखी करने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) द्वारा 392 नर्सिंग होम्स संचालकों को नोटिस भेजे गए हैं, जबकि 8 नर्सिंग होम्स के पंजीयन रद्द कर दिए गए हैं।
इस कार्रवाई के पीछे कारण बना है इन नर्सिंग होम्स का फायर सेफ्टी एनओसी और इलेक्ट्रिक ऑडिट प्रमाणपत्र समय पर प्रस्तुत न करना। जिला कलेक्टर के निर्देश पर यह सख्त कदम उठाया गया है ताकि मरीजों की सुरक्षा से कोई समझौता न हो।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर प्रशासन सख्त
सीएमएचओ डॉ. सचिन श्रीवास्तव ने बताया कि जिले के सभी नर्सिंग होम्स की इंस्पेक्शन और जांच स्पेशल मेडिकल टीम के माध्यम से करवाई गई थी। इस जांच के दौरान पाया गया कि आठ नर्सिंग होम्स के पास न तो फायर सेफ्टी एनओसी है और न ही इलेक्ट्रिक ऑडिट सर्टिफिकेट। यह दोनों दस्तावेज स्वास्थ्य संस्थानों के संचालन में अनिवार्य होते हैं, क्योंकि ये मरीजों और स्टाफ की जान-माल की सुरक्षा से सीधे जुड़े होते हैं।
उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा पहले भी कई बार इन नर्सिंग होम संचालकों को पत्राचार के माध्यम से दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था, लेकिन संचालकों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए इन आठ संस्थानों के पंजीयन निरस्त कर दिए।
फायर और इलेक्ट्रिक सुरक्षा में लापरवाही बनी मौत का कारण
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में फायर सेफ्टी मानकों की अनदेखी के चलते देशभर में कई दर्दनाक घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें मरीजों की जान तक चली गई। इंदौर और मुंबई के अस्पतालों में लगी आग के मामलों ने यह साबित किया है कि अगर समय रहते सुरक्षा उपाय न लिए जाएं, तो जानलेवा हादसे हो सकते हैं।

ग्वालियर प्रशासन की यह कार्रवाई इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो।
392 नर्सिंग होम्स को चेतावनी, 5 दिन में दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश
सिर्फ आठ नर्सिंग होम्स ही नहीं, बल्कि जिले के 392 अन्य नर्सिंग होम्स को भी नोटिस भेजे गए हैं, जिनमें पांच दिनों के भीतर फायर सेफ्टी एनओसी और इलेक्ट्रिक ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें पंजीयन रद्द करना, लाइसेंस नवीनीकरण रोकना और अस्पताल सील करना जैसी सख्त सजा शामिल हो सकती है।
CMHO बोले- “मरीजों की सुरक्षा सर्वोपरि”
सीएमएचओ डॉ. श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि,
“स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मरीजों और उनके परिजनों की जान की हिफाजत हमारा सर्वोच्च दायित्व है। जिन संस्थानों ने नियमों की अनदेखी की है, उनके खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी।”
जिम्मेदारियों से बचना नहीं अब संभव
ग्वालियर प्रशासन की यह पहल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह संदेश साफ है कि अब कानून और नियमों को ताक पर रखकर अस्पताल चलाना आसान नहीं होगा। मरीजों की सुरक्षा से जुड़ा हर पहलू गंभीरता से लिया जाएगा।
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