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वायनाड में स्कूल फिर से खुले: बाढ़ और लैंडस्लाइड के बाद छात्रों ने भरी नई उम्मीद की सांस|

वायनाड, केरल केरल के वायनाड जिले में हाल ही में आई भयानक बाढ़ और लैंडस्लाइड के बाद, धीरे-धीरे लोगों की ज़िंदगी पटरी पर लौटने लगी है। तबाही से सबसे अधिक प्रभावित मेप्पाडी गांव में सोमवार, 2 सितंबर को स्कूल फिर से खोले गए, जहां पहले दिन करीब 600 छात्र उपस्थित रहे। इन छात्रों में से कई ने इस आपदा में अपने प्रियजनों को खो दिया है।

दर्दनाक हादसा:


30 जुलाई को हुए लैंडस्लाइड ने मुंदक्कई और चूरलमाला गांवों को बुरी तरह प्रभावित किया था। इस तबाही में गवर्नमेंट वोकेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल और गवर्नमेंट लोअर प्राइमरी स्कूल मुंदक्कई पूरी तरह से नष्ट हो गए थे। अब इन स्कूलों के 614 छात्रों को मेप्पाडी के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में स्थानांतरित किया गया है, जहां उनकी पढ़ाई फिर से शुरू हुई।https://youtu.be/uP7wFKwY17s?si=dK6QbZDgV81Ih0yN

छात्रों के स्वागत में सरकार का विशेष आयोजन


छात्रों की स्कूल वापसी पर सरकार ने एक विशेष स्वागत समारोह का आयोजन किया। पूरे स्कूल को सजाया गया था और बच्चों के लिए नई ड्रेस, कॉपी-किताबें और अन्य जरूरी सामग्रियां दी गईं। बच्चों के लिए कुर्सी और टेबल की व्यवस्था की गई, ताकि वे आराम से बैठकर पढ़ाई कर सकें।

छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान


स्कूल के प्रिंसिपल उन्नीकृष्णन ने बताया कि इस आपदा ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है, और उनसे उबरने में समय लगेगा। इसलिए, शुरूआती दिनों में नियमित कक्षाएं नहीं चलाई जाएंगी, बल्कि बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए विशेष गतिविधियां की जाएंगी। शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे कक्षाओं में भूस्खलन से संबंधित कोई चर्चा न करें, क्योंकि कई बच्चे अपने माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों को खो चुके हैं।

गांवों की स्थिति


लैंडस्लाइड से प्रभावित गांवों में मुंदक्कई और अट्टा माला गांव पूरी तरह खाली हो चुके हैं। कुछ परिवार चूरलमाला गांव में लौट आए हैं, लेकिन कई लोग अब भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। अन्य लोग मेप्पाड और अन्य क्षेत्रों में किराए के मकानों में शिफ्ट हो गए हैं। इस आपदा में कुल 231 लोगों की मौत हुई और 78 लोग अब भी लापता हैं, जिनमें से 53 छात्र भी शामिल थे।

वायनाड के लोग इस दुखद घटना से उबरने का प्रयास कर रहे हैं, और स्कूलों के फिर से खुलने के साथ ही बच्चों के भविष्य के प्रति एक नई उम्मीद जागी है।

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